भिंड: बेखौफ रेत माफिया, खदान पर हुई गोलीबारी, प्रशासन पर लगे आरोप

Gaurav Sharma
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भिंड डेस्क रिपोर्ट। भिंड में बरेठी खुर्द इलाके में रेत के अवैध उत्खनन को लेकर दो पक्षों के बीच गोलीबारी की खबर है। यह इलाका भिंड के अमायन थाने में आता है। बीजेपी नेता का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन को शिकायत के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

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मुख्यमंत्री के तमाम निर्देशों के बावजूद भिंड में रेत का अवैध उत्खनन लगातार जारी है। हालात यह है कि खुद बीजेपी के नेता इस मामले में स्टिंग ऑपरेशन करके प्रशासन और पुलिस को बताने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अवैध उत्खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात का है जब बरेठी खुर्द इलाके में चल रही अवैध पोकलेन मशीनो को रोकने कुछ लोग पहुचे और पोकलेन मशीन चला रहे लोगों के साथ उनका विवाद हो गया। विवाद इस कदर बढ़ा कि दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर गोलियां बरसा दी। बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य डा.रमेश दुबे का कहना है कि इस मामले की शिकायत वे भिंड के कलेक्टर एम सतीश और एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान को अब से लगभग दो घंटे पहले कर चुके हैं लेकिन ना तो पुलिस और ना ही प्रशासन का कोई व्यक्ति वहां पर पहुंचा है। हालात यह हैं कि पोकलेन मशीन अभी भी खड़ी हुई है और इस बात का जीता जागता प्रमाण दे रही है कि किस कदर अवैध उत्खनन चल रहा है।

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डा.रमेश दुबे ने इस मामले में आईजी और कमिश्नर से बात करने की बात भी कही है. कुछ दिन पहले ही डॉ रमेश दुबे ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें साफ तौर पर दिखाया गया था कि किस तरह भिंड के अंदर सिंध और चंबल नदियों से लगातार अवैध उत्खनन जारी है और राज्य सरकार की ओर से कोई वैधानिक ठेकेदार ना होने के बावजूद रेत माफिया किस कदर नदियों को लूट रहे हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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