लहार पत्रकारों ने प्रशासन के खिलाफ की जमकर नारेबाजी, एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

Amit Sengar
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भिंड, सचिन शर्मा। प्रदेश भर में पत्रकारों पर हो रहे हमले और उनके खिलाफ दर्ज गलत एफआईआर सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ही हमले नहीं हैं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को भी कमजोर करने की योजनाबद्ध कोशिश है। ऐसा ही मामला भिंड (bhind) जिले का है जहाँ एम्बुलेंस के अभाव में एक मरीज को हाथ ठेले पर ले जाने की घटना को उजागर करने पर तीन पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज कर प्रदेश सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंट कर लोकतंत्र के चौथे खम्बे को कमजोर कर रही है।

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आपको बता दें कि भिंड जिला प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए पत्रकारों को बलि का बकरा बना कर उन पर गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी है, इस पूरे मामले में लहार पत्रकार संघ ने रैली निकालकर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें उन्होंने इस मामले की 7 दिन के अन्दर निष्पक्ष जांच करा कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश जारी करने की मांग की। साथ ही भारत के चौथे स्तंभ एवं आमजन की आवाज उठाने वाले पत्रकारों को न्याय दिलाने की मांग भी की। अगर ऐसा नहीं किया गया तो पत्रकार संघ लहार आन्दोलन के लिए बाध्य होगा।

लहार पत्रकारों ने प्रशासन के खिलाफ की जमकर नारेबाजी, एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

गौरतलब है कि नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह (Leader of Opposition Dr. Govind Singh) ने सीएम शिवराज सिंह (CM Shivraj Singh Chauhan) को पत्र लिखकर जिले के लहार के एक परिवार को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा परेशान किये जाने की शिकायत की है और वरिष्ठ अधिकारियों से निष्पक्ष जाँच कराकर दोषी प्रशानिक अधिकारियों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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उक्त घटना को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉ रमेश दुबे ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, डॉ दुबे ने जारी अपने बयान में कहा कि मध्यप्रदेश की जनहितैषी सरकार सदैव से समाज के चौथे स्तम्भ को सम्मान की दृष्टि से देखती हैं एवं जनहित के मुद्दों को प्रकाश में लाने के उनके जज्बे को सलाम करती है, भिण्ड में दवोह थाना क्षेत्र में बीमार मरीज को ठेले पर ले जाने की ख़बर को अगर पत्रकारों ने शासन प्रशासन की नजर में लाया तो क्या गलत किया, ये कोई अपराध की श्रेणी में तो आता नहीं है और नाहीं इस खबर से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होती।

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डॉ दुबे ने कहा कि सरकार की जनहितैषी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी प्रशासन की है और किसी के गैर जिम्मेदाराना कृत्य को दबाकर पत्रकारों को झूठा साबित करना घोर अनुचित है, अगर इस खबर में प्रशासन को असत्यता लगी तो नोटिस देकर भी बात रखी जा सकती थी। डॉ दुबे ने कहा कि बिना निष्पक्ष जांच एवं बिना नोटिस दिए पत्रकार बन्धुओं पर मामला दर्ज करवाने की ये कार्यवाही चिंता का विषय है, पत्रकार भारतीय लोकतंत्र में चौथे स्तम्भ के रूप में विद्यमान एवं सम्मानित हैं,उनका सम्मान रखने की बजाय उन पर मुकद्दमा दर्ज करना उचित प्रतीत नही होता। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पत्रकारों के हितों, अधिकारों एवं उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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