Notice: अधिकारी को महंगा पड़ा विज्ञापनों में कमल और BJP के जिलाध्यक्ष का फोटो, जाने कारण

Kashish Trivedi
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भिण्ड, गणेश भारद्वाज। भिंड नगर पालिका प्रबंधन को भारतीय जनता पार्टी का चिन्ह और भाजपा जिलाध्यक्ष का फोटो अखबारों में छपवाना महंगा पड़ता दिखाई दे रहा है। कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस ने नगर पालिका CMO सुरेंद्र शर्मा को इस संदर्भ का एक नोटिस (notice) जारी करते हुए 24 घंटे के अंदर जवाब तलब किया है।

दरअसल प्रदेश के राजस्व और जिले के प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के प्रथम आगमन नगरपालिका भिण्ड ने स्वागतं विज्ञापन छपवाए थे ।अब पांचवे दिन कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस ने नगरपालिका सीएमओ सुरेंद्र शर्मा के नाम कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है। भिण्ड नगरपालिका के इस कृत्य को कलेक्टर भिण्ड सतीश कुमार एस ने मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के उपर नियम 1,2,3 का स्पष्ट उल्लंघन मानते हुए एवं लोक सेवक के पदीय कर्तव्यों में उदासीनता व लापरवाही मानते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है और नगर पालिका सीएमओ श्री शर्मा से 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है। 24 घंटे के अंदर जवाब ना देने की दशा में कलेक्टर ने एक पक्षीय कार्रवाई करने की भी बात अपने नोटिस में कही है।

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विज्ञापनों में होती है लाखों रुपए की बर्बादी

नेताओं के स्वागत में दिए जाने वाले विज्ञापनों के द्वारा नगर पालिका प्रशासन जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपए की बर्बादी करती है अखबारों और मीडिया के विभिन्न साधनों की संख्या अधिक होने से अगर थोड़े थोड़े पैसे का भी विज्ञापन दिया जाता है तो यह खर्चा लाखों रुपए में पहुंच जाता है जिस पैसे से शहर का विकास किया जाए वह पैसा विज्ञापनों पर केवल नेताओं की आवभगत पर खर्च कर दिया जाता है। समाचार पत्रों को विज्ञापन दिए जाने से कई बार यह भी बात देखने में सामने आती है कि विज्ञापन के पेमेंट के दबाव में जनता के हितों की जो खबरें होती है वह कहीं ना कहीं अखबारों में आने से छिपी रह जाती हैं।

नेताओं के स्वागत में होती है अपार पैसे की बर्बादी

न केवल विज्ञापनों बल्कि नेताओं के स्वागत में अन्य खर्चे भी सरकारी कार्यालयों द्वारा किए जाते हैं यही नहीं कई फुट में यह नेताओं के द्वारा तो अधिकारियों पर भी इस बात का दबाव बनाया जाता है कि वे नेता जी के स्वागत के लिए चंदा दें नहीं तो आने वाले समय में उनकी खटिया खड़ी कर दी जाएगी। अगर भिंड जिले की केवल तीन नगर पालिका और आठ नगर पंचायतों का हिसाब किताब ले तो 1 साल में फिजूल के विज्ञापनों की राशि एक करोड़ से अधिक की पहुंच जाती है।

कर्मचारी पैसा लेते हैं निकाय-का और काम करते हैं नेताओं और अधिकारियों के घरों पर…?

यह बात भी देखने में सामने आई है कि कई नगरपालिका के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अधिकारियों और नेताओं के घरों पर काम करते हैं और उन्हें उस काम के बदले में वेतन नगरपालिका प्रदान करती है। सूत्रों की माने तो नहीं नगर पालिका के द्वारा नेताओं को अधिकारियों की गाड़ियों में डीजल भी साफ सफाई के खर्चे में डालकर मुहैया कराया जाता है।

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