Bhojshala ASI Report: मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक स्थल भोजशाला पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई ताजा रिपोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया है। दरअसल उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई इस रिपोर्ट में भोजशाला के मुख्य परिसर के नीचे प्राचीन संरचना के प्रमाण मिले हैं, जो हिंदू पक्ष के दावे को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में मुख्य रूप से मूर्तियों, संस्कृत शिलालेखों और खंभों पर प्राचीन प्रमाणों का उल्लेख किया गया है।
प्राचीन संरचना के प्रमाण:
दरअसल ASI की रिपोर्ट के अनुसार, भोजशाला का निर्माण परमार काल (9वीं से 13वीं शताब्दी) के आसपास का है। जानकारी के अनुसार खुदाई के दौरान 90 से अधिक प्रमाण मिले हैं, जो इस काल के अवशेषों के रूप में हैं। वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि ये अवशेष मुख्य रूप से मूर्तियों, खंभों और संस्कृत शिलालेखों के रूप में पाए गए हैं, जो यह संकेत देते हैं कि भोजशाला का मुख्य परिसर किसी पुराने संरचना पर निर्मित हुआ है।
खुदाई में मिली वस्तुएं:
वहीं रिपोर्ट में उल्लेख है कि खुदाई के दौरान विभिन्न धातुओं के सिक्के, मूर्तियां, और जटिल नक्काशी वाले वास्तुशिल्प तत्व मिले हैं। ये कलाकृतियां बेसाल्ट, संगमरमर, सिस्ट, सॉफ्ट स्टोन, बलुआ पत्थर और चूना पत्थर से बनी थीं। इनमें गणेश, ब्रह्मा और उनकी पत्नियां, नृसिंह, भैरव, देवी-देवता, मानव और पशु आकृतियां शामिल हैं।
संस्कृत और प्राकृत शिलालेख:
दरअसल ASI की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि वर्तमान संरचना में संस्कृत और प्राकृत में कई शिलालेख हैं। इनमें से एक शिलालेख में परमार वंश के राजा नरवरमन का उल्लेख है, जिन्होंने 1094-1133 ई. के बीच शासन किया था। ये शिलालेख भोजशाला के ऐतिहासिक, साहित्यिक और शैक्षणिक महत्व को दर्शाते हैं।
हिंदू पक्ष का दावा:
हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित एक मंदिर मानते हैं। उनका दावा है कि यह स्थल एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है।
मुस्लिम पक्ष का दावा:
वहीं, मुस्लिम समुदाय इस स्थल को कमाल मौला मस्जिद के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि इस रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही लिया जाएगा।
इस मामले की सुनवाई अब उच्च न्यायालय की इंदौर बेंच में 22 जुलाई को होगी। ASI की रिपोर्ट से इस विवादित स्थल पर हिंदू पक्ष के दावे को बल मिला है, लेकिन अंतिम निर्णय अभी भी न्यायालय के हाथों में है।