गुमटियों में गुम भोपाल, कब्जे में हो रहा आत्मनिर्भर, वरिष्ठ लेखक का सुझाव, कराया जाए “झुग्गी–झोपड़ी, गुमटी–ठेला, कब्ज़ा कॉन्क्लेव 2024

भोपाल में गुमटियों का आत्मनिर्भरीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक कब्ज़ा कॉन्क्लेव 2024 आयोजित किया जा रहा है, जिसमें झुग्गी-झोपड़ी संसाधनों के पुनःउपयोग की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित है।

Bhawna Choubey
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Bhopal: लेखक विजय मनोहर तिवारी ने एक दर्शनीय और सुस्पष्ट आवाज के साथ भोपाल की गुमटियों और उनके संघर्षों को साझा किया है। उन्होंने बताया कि कैसे भोपाल में गुमटियों का अनगिनत स्वरूप है, जो शहर की संघर्षणात्मक दृष्टि को दर्शाता है। उनके अनुसार, भोपाल के स्थानीय नेताओं को एकत्रित करने के लिए एक कॉन्क्लेव आयोजित किया जाना चाहिए, जिसमें उन्हें इन चुनौतियों पर विचार करने का मौका मिले। उन्होंने लिखा, गुमटी, गुमटियों और जगहों की बात की जाए तो भोपाल इनके लिए बहुत मशहूर है। यहां के गुमटीकरण का विवादित विषय रहा है, जिसने इस शहर को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत चर्चा में लाया। इस विवाद के बीच, भोपाल ने अपनी विशेष पहचान बनाई है। यहां की गुमटियों और उनके निवासियों की कहानी सभी को प्रेरित करती है।

अब भोपाल जल्द ही एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कॉन्क्लेव की मेजबानी करने के लिए तैयार है, जिसका फोकस देश भर में तेजी से बढ़ रही अवैध कॉलोनियों की समस्या का समाधान खोजना होगा। केंद्र सरकार के शहरी विकास विभाग, राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग और भोपाल नगर निगम के संयुक्त प्रयास से आयोजित होने वाला यह कॉन्क्लेव, “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत आत्मनिर्भर भोपाल की आवाज़ को बुलंद करेगा।

कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य

कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाना है, ताकि अवैध कॉलोनियों को वैध बनाने के लिए व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान खोजे जा सकें। इन हितधारकों में सरकारी अधिकारी, शहरी नियोजक, कानूनविद, सामाजिक कार्यकर्ता और सबसे महत्वपूर्ण रूप से, प्रभावित निवासी शामिल होंगे। भोपाल को इस आयोजन के लिए चुना जाना काफी सार्थक है। यह शहर खुद अवैध कॉलोनियों के तेजी से बढ़ने की चुनौती का सामना कर रहा है। माना जा रहा है कि भोपाल के अनुभव और इस समस्या से निपटने के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर साझा करना, अन्य शहरों के लिए भी सीखने का एक बेहतरीन अवसर होगा।

तीन दिवसीय इस कॉन्क्लेव में विचार-विमर्श और चर्चाओं के माध्यम से ठोस कार्ययोजना बनाने पर ध्यान दिया जाएगा। इसका लक्ष्य न केवल अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करना है, बल्कि शहर के नियोजित विकास में भी योगदान देना है। साथ ही, यह अन्य शहरों को भी अपनी अवैध कॉलोनी समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भोपाल में इस कॉन्क्लेव का आयोजन, अवैध कॉलोनीकरण की जटिल समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह उम्मीद की जाती है कि अंतिम रूप से तैयार कार्ययोजना से न केवल भोपाल बल्कि पूरे देश को लाभ होगा।


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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