बीमार बुजुर्ग महिला के लिए फरिश्ता बनी भोपाल पुलिस, मदद कर दी नई जिंदगी

एसपी

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। पुलिस समाज सेवा के लिए हमेशा तैयार रहती है लेकिन अक्सर पुलिस का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। पुलिस का क्रिमिनल के तरफ सख्त रवैया अक्सर चर्चाओं का विषय बनता है। लेकिन अपने सख्त रवैया से ही पुलिस का एक अलग चेहरा भी है जो कि सौम्य है। भोपाल (Bhopal) से सामने आ रही इस खबर ने पुलिस (Police) का एक अलग चेहरा लोगों के सामने रखा है। भोपाल पुलिस (Bhopal Police) ने 2 से 3 दिनों की भूखी 70 साल की बीमार बुजुर्ग महिला (Old Alling Women) को भरपेट भोजन कराया, उसके बाद हेल्थ चेकअप कराया गया। बुजुर्ग महिला के सात साल के पोते का कोविड-19 टेस्ट कराने के बाद उसे बाल निकेतन भेज दिया गया।

दरअसल अशोका गार्डन थाने को सूचना मिली थी कि राजधानी के सुरेश नगर के मकान नंबर 29 में एक बुजुर्ग महिला अपने 7 साल के पोते के साथ किराए से रहती है। उसने दो-तीन दिन से कुछ खाया पिया नहीं है। वहीं महिला काफी बीमार भी है, साथ ही महिला का बेटा जेल में है। परिवार में कोई भी नहीं है जो उनका ख्याल रख सके। अशोका गार्डन थाना के एसआई उमेश चौहान से सूचनाकर्ता ने बुजुर्ग महिला की मदद करने की गुहार लगाई, जिसके बाद पुलिस ने बिना देरी करें इसकी सूचना चाइल्डलाइन टीम को भी दी और बताएं गए पते पर तुंरत पहुंच  गई। जिसके बाद महिला के घर का जायजा लेने पहुंची पुलिस को घर में बुजुर्ग महिला और उसका 7 साल का पोता गणेश मिला।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।