MP News : 34 दिन से धरने पर शिक्षक, नहीं सुन रहे पुकार, घोषणाओं में उलझी सरकार, 2018 की भर्ती 2023 में भी अधूरी

Atul Saxena
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MP News : मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं, सरकार इसकी तैयारी में व्यस्त है, मतदाता को आकर्षित और प्रभावित करने के लिए सरकार लगातार घोषणाएं कर रही है लेकिन दूसरी तरफ कर्मचारी संगठन आन्दोलन कर रहे हैं और सरकार को चेतावनी दे रहे हैं उसके पिछले वादे याद दिला रहे हैं, प्रदेश के शिक्षक भी इसी कड़ी का एक हिस्सा हैं जो पिछले एक लम्बे अरसे से लंबित शिक्षक भर्ती को पूरी किये जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं।

2018 में घोषित भर्ती आज 2023 में भी अधूरी

मध्य प्रदेश के शिक्षक पिछले एक पखवाड़े से ज्यादा समय से आन्दोलन पर हैं उनका कहना है कि शिवराज सरकार 5 साल बाद भी हमारी भर्ती पूरी करने में नाकाम है,  2018 में घोषित भर्ती आज 2023 में भी अधूरी है, शिक्षकों का कहना है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा भर्ती नियमों में बार बार संशोधन किया गया। जिसके कारण कई सारे पात्र मेरिट होल्डर चयनित शिक्षक प्रभावित हुए और योग्य होते हुए भी नियुक्ति से वंचित रह गए।

उच्च माध्यमिक ही नहीं माध्यमिक शिक्षकों के पद भी रिक्त 

आंदोलनरत शिक्षकों के मुताबिक 2018 में शिक्षक भर्ती में उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 17000 पद निकाले गए जिसमें से 15000 पद प्रथम काउंसलिंग में और 2000 पद द्वितीय काउंसलिंग के लिए सुरक्षित रखे गए लेकिन विभाग ने पूरे 15000 पदों की पूर्ति नहीं की और प्रथम चरण से 5935 पद रिक्त रह गए जो कि सभी वर्गों के हैं एवं माध्यमिक शिक्षकों के 5600 पद निकाले जिसमें से 2223 पद आज भी रिक्त रह गए हैं जिनकी पूर्ति आज तक विभाग ने नहीं की, जो सिर्फ एक लापरवाही नहीं बल्कि बेरोजगारों के साथ धोखा है।

पिछले साल जारी फ्रेश भर्ती विज्ञापन पर उठ रहे सवाल  

शिक्षकों ने कहा विभाग ने पिछले साल 29 सितंबर को एक भर्ती विज्ञापन जारी कर उसे फ्रेश भर्ती बता दिया लेकिन खास बात ये है कि विभाग ने फ्रेश भर्ती के लिए कोई परीक्षा आयोजित ही नहीं की और पात्रता अवधि 2022 तक बढ़ा दी, उन्होंने सवाल किया कि  यदि 2022 में अभ्यर्थी की योग्यता पूर्ण हुई है तो इन अभ्यर्थियों ने 2018 में किस आधार पर आवेदन किया। इतना ही नहीं अब विभाग उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 5935 एवं माध्यमिक शिक्षकों 2235 पदों को विभाग विलोपित करने में लगा है, जिससे पात्र अभ्यर्थी मानसिक और आर्थिक रूप प्रभावित हो रहे हैं।

अनारक्षित वर्ग कर रहा 13 प्रतिशत अतिरिक्त सीटों की मांग 

इसी प्रकार शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है की ईडब्ल्यूएस पर भूतलक्षी प्रभाव के कारण 848 पद नहीं दिए जा सकते क्योंकि प्रथम काउंसलिंग के समय ईडब्ल्यूएस 10 फीसदी  का निर्णय नहीं आया था । इसी प्रकार जब ओबीसी कैटेगरी में 27 प्रतिशत आरक्षण से नियुक्ति दे दी गई है, प्रथम चरण में 11 विषयों में 27 प्रतिशत नियुक्ति दी गई है, शेष 5 विषयों पर स्टे होने के कारण इन विषयों के पदों को होल्ड कर दिया गया है और द्वितीय चरण में 27 प्रतिशत से सभी विषयों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गई है, 27 फीसदी ना प्रथम काउंसलिंग के समय था और आज भी इसका निर्णय नहीं आया है, परंतु फिर भी ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी से नियुक्ति प्रदान कर दी गई जिससे अनारक्षित वर्ग का अभ्यर्थी प्रभावित हुआ है, इन अभ्यर्थियों की यह मांग है कि जिस प्रकार कोर्ट के फैसले आने से पहले इन्हें नियुक्ति प्रदान की गई है तो हमें भी 13 प्रतिशत  अतिरिक्त सीटें देकर समायोजित किया जाए।

बहरहाल शिक्षकों का आन्दोलन भोपाल में लम्बे समय से चल रहा है लेकिन ना तो सरकार और ना ही सरकार का कोई  प्रतिनिधि अभी तक उनकी समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस हल नहीं दे पाया है जिससे ये कहना मुश्किल है कि ये धरना आन्दोलन कब तक जारी रहेगा, उधर चुनावी साल में अभी अन्य कई कर्मचारी आन्दोलन के मूड में हैं, यदि सरकार ने कर्मचारियों से बात नहीं की तो हालात कभी भी विषम हो सकते हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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