होटलों में हो रहा घरेलू गैस का उपयोग, अफसर का ध्यान नहीं

शहर में संचालित हो रहे होटल और रेस्टोरेंटों पर इस तरह की गतिविधियां संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की मेहरबानी से चल रही हैं क्योंकि फूड विभाग के स्थानीय अधिकारी समय-समय पर क्षेत्र में मॉनिटरिंग नहीं करते और अगर मॉनिटरिंग करते हैं तो फिर क्या उन्हें इस तरह की गतिविधियां नजर नहीं आतीं या फिर जानबूझकर इस तरह की गतिविधियों को अनदेखा कर दिया जाता है ऐसे कई तरह के सवाल संबंधित अधिकारियों पर खड़े होते हैं।

Amit Sengar
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Dabra News : डबरा में खाद्य विभाग की उदासीनता के चलते नगर के होटलों और रेस्टोरेंट में घरेलू गैस सिलेंडरों का उपयोग बढ़ गया है। घरेलू गैस सिलेंडरों का उपयोग होटल संचालक खुलेआम कर रहे हैं, फिर भी जिम्मेदार विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

इन दिनों शहर के कई होटल, ढाबा, दूध डेयरी, दुकानों और हाथ ठेला में चाय, समौसे, चाट आदि में भारी संख्या में घरेलू सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा रेस्टोरेंटों में व होटलों पर खुलेआम जमकर घरेलू सिलेंडरों का उपयोग हो रहा है। लेकिन अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं।

नियमों की देखी कर रहे हैं अनदेखी

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इस तरह शहर में संचालित हो रहे होटल और रेस्टोरेंटों पर इस तरह की गतिविधियां संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की मेहरबानी से चल रही हैं क्योंकि फूड विभाग के स्थानीय अधिकारी समय-समय पर क्षेत्र में मॉनिटरिंग नहीं करते और अगर मॉनिटरिंग करते हैं तो फिर क्या उन्हें इस तरह की गतिविधियां नजर नहीं आतीं या फिर जानबूझकर इस तरह की गतिविधियों को अनदेखा कर दिया जाता है ऐसे कई तरह के सवाल संबंधित अधिकारियों पर खड़े होते हैं। क्योंकि नियम तो नियम होते हैं और संबंधित अधिकारी इन नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।

प्रतिष्ठानों पर होगी उचित कार्रवाई

वहीं जब इस मामले को लेकर डबरा फूड इंस्पेक्टर संदीप पांडे से बात की गई तो उन्होंने कहां कि अगर कहीं भी होटल या रेस्टोरेंट में कमर्शियल गैस सिलेंडरों की जगह घरेलू गैस सिलेंडरों का इस्तेमाल हो रहा होगा तो इसकी उनके द्वारा जांच की जाएगी उसके उपरांत संबंधित प्रतिष्ठानों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

लेकिन बड़ी बात तो यह है कि अधिकारी जांच कर उचित कार्रवाई करने की बात तो कह देते हैं लेकिन इस तरह की गतिविधियों के बारे में जब अधिकारियों को पहले से पता रहता है तो फिर अधिकारियों द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जाती क्यों मीडिया के सचेत करने के बाद ही अधिकारी जांच कर कार्रवाई की बात कहते हैं।

डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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