भोपाल। शिवराज सरकार पर भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली कमलनाथ सरकार में भी अजीबो-गरीब फैसले लिए जा रहे हैं। भ्रष्टाचार के लिए बदनाम खनिज विभाग में 5 साल पहले रिटायर्ड हो चुके अधिकारी शरद दुबे को नियम-प्रक्रिया दरकिनार कर खनिज विकास निगम में सलाहकार नियुक्त किया गया है। इसके लिए विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने बाकायदा नीटशीट चलाई और लिखा कि आचार संहिता लगने वाली है, नियम प्रक्रिया पालन करने का समय नहीं है।
निगम से आदेश जारी होने के बाद शरद दुबे ने तीन दिन पहले खनिज विकास निगम के मुख्यालय पहुंचकर सलाहकार के रूप में आमद दे दी है। दुबे खनिज निगम में महाप्रबंधक (ऑपरेशन)रहे हैं और रेत खदानों का काम देखते थे। वे खनिज निगम में ताकतवर अधिकारी रहे हैं। उनके जीएम रहते रेत ठेकेदारों से मधुर संबंध थे। इनमें से कुछ ठेकेदार और उनके करीबी लोग आज सरकार मे��� शामिल हैं। इन्हीं की सिफारिश पर दुबे को खनिज विकास निगम में 40 हजार रुपए महीने के मानदेय पर 6 महीने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। हालांकि पहले उन्हें संविदा नियुक्ति दी जाने के लिए नोटशीट लिखी गई थी,लेकिन उनकी उम्र 65 साल से अधिक होने एवं संविदा नियमों के दायरे में नहीं आने की वजह से उन्हें नियम-प्रक्रिया पालन नहीं करते हुए सलाहकार नियुक्त किया गया है।
कोर्ट जाने की तैयारी में विरोधी
दुबे की नियुक्ति से खनिज विकास निगम में हड़कंप मच गया है। उनके विरोधी खेमा इस नियुक्ति को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में है। इसके लिए शासन की नोटशीट को आधार बनाया जा सकता है। क्योंकि दुबे की नियुक्ति में नियम-प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और नोटशीट पर सीधे आदेश जारी किए गए हैं। खुद प्रमुख सचिव ने यह स्वीकारा है।
वित्त मंत्री की सिफारिश पर मिली नियुक्ति!
खनिज विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार शरद दुबे को वित्त मंत्री तरुण भनोट की सिफारिश पर खनिज निगम में संविदा नियुक्ति दी गई है। विधायक बनने से पहले भनोट और उनके समर्थकों की जबलपुर में रेत खदानें थीं, तब दुबे निगम में जीएम ऑपरेशन थे। मजेदार बात यह है कि वे उस समय के रेत ठेकेदारों के ‘गुरुÓ थे।
खनिज निगम एक कंपनी हैं, वह सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। शरद दुबे को 6 महीने के लिए निगम में सलाहकार नियुक्त किया है। निगम के पास यह अधिकार हैं।
नीरज मंडलोई, एमडी, खनिज विकास निगम