स्तन कैंसर जागरूकता को लेकर आर्या शर्मा की मशहूर अंकोलॉजिस्ट डॉ श्याम अग्रवाल से विशेष बातचीत

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। महिलाओं और नव युवतियों में स्तन कैंसर (breast cancer) जैसी शिकायतें पिछले कुछ दिनों में ज्यादा सामने आई हैं। इसकी एक बड़ी वजह डाइट और लाइफ स्टाइल को लेकर लापरवाह होना माना जाता है, यदि हम इन बातों को लेकर जागरूक (breast cancer awareness) रहें तो स्तन कैंसर से बचा जा सकता है।  अक्टूबर का महीना स्तन कैंसर की जागरूकता के लिए जाना जाता है इसीलिए इसे पिंक अक्टूबर (pink october) भी कहते है। स्तन कैंसर के कारण, उससे बचाव और उसके इलाज पर मशहूर अंकोलॉजिस्ट, नवोदय हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ श्याम अग्रवाल से बात की हमारी सहयोगी आर्या शर्मा ने।

आर्या शर्मा – स्तन कैंसर होता क्या है, इसके कारण क्या है?

डॉ श्याम अग्रवाल- इसके दो तरह के फेक्टर होते हैं, एक मॉडिफाइबल फेक्टर और दूसरा नॉन मॉडिफाइबल फेक्टर, अंग्रेजी में एक कहावत है You can choose your father in law but you can not choose your father, इसी तरह यदि आपकी फैमिली में किसी को स्तन कैंसर हुआ है, नानी, बुआ, दादी, बहन तो उस महिलाको हाई रिस्क होती है। इनमें सामान्य महिलाओं की तुलना में  डेढ़ गुना ज्यादा सम्भावना स्तन कैंसर की होती है, ये एक नॉन मॉडिफाइबल फेक्टर है जिसे आप चेंज नहीं कर सकते। लेकिन जो चेंज कर सकते है वो है ओपीसिटी, मालन्यूट्रीशन, फास्टफूड कंट्रोल।

डॉ श्याम अग्रवाल ने कहा कि आज महिलाएं करियर पर फोकस करती हैं, शादी के बाद माँ देर से बनती हैं, यानि जिन महिलाओं में डिलेड प्रेग्नेंसी होती है उनमें स्तन कैंसर की सम्भावना ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि नन को ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर होता है क्योंकि वे शादी नहीं करती। इसलिए नॉन प्रेग्ननेंट महिलाये और डिलेड प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं में स्तन कैंसर की सम्भावना ज्याद होती है।

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इसके अलावा जो महिलाएं एक्सरसाइज नहीं करती, अपना फेट बर्न नहीं करती उन्हें भी ये परेशानी हो सकती है। यदि फेट बढ़ेगा और जो गठानें होती हैं उन्हें कई  बार पहचान नहीं पाते और वो कैंसर का रूप ले लेती हैं। विदेशों में जैसे एल्कोहल और स्मोकिंग का चलन है जो अब हमारे यहाँ भी महिलाओं में बढ़ रहा है वो भी स्तन कैंसर का एक बड़ा कारण है।

आर्या शर्मा – स्तन कैंसर के लक्षण क्या है, इसे कैसे पहचानें?

डॉ श्याम अग्रवाल – सबसे अच्छी बात ये है कि 80 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर गठान के रूप में होता है, यदि किसी कोगठान है तो उसका चैकअप कराना जरुरी है।  केवल 20 प्रतिशत मामलों में गठान नहीं होती, स्किन मोटी हो जाती है या निपल से डिस्चार्ज आता है या फिर निपल के आसपास अल्सर हो जाता है, हालाँकि ये अनकॉमन है, मोस्ट कॉमन गठान ही होता है।

आर्या शर्मा – लक्षण हो तो क्या तुरंत अस्पताल जाये या घर पर रहकर कोई उपाय करें ?

डॉ श्याम अग्रवाल – सबसे पहले डॉक्टर को दिखाना चाहिए स्त्री रोग विशेषज्ञ ये देखेगी कि इसमें सोनोग्राफ़ी या मेमोग्राफी की जरुरत तो नहीं है। यदि वो कहती है कि चिंता नहीं है आप छह महीने या एक साल तक तक दवा लीजिये तो ठीक है।  वैसे कोई भी महिला अपने स्तन की जाँच खुद कर सकती है। ब्रेस्ट सेल्फ एक्जैमिनेशन कर सकती हैं।  25  से 30 साल की महिला को महीने में एक बार अपने स्तन की जाँच खुद करनी चाहिए। इसके लिए यू ट्यूब से सीख सकते है।

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डॉ श्याम अग्रवाल ने कहा कि वैसे आज मेडिकल कमर्शियलाइज बिजनिस हो गया है, आज किसी भी उम्र की महिला को कई बार डॉक्टर मेमोग्राफी लिख देते हैं लेकिन नियम ये है कि यदि महिला के परिवार में किसी को हिस्ट्री है तो 35 साल की उम्र में मेमोग्राफी करना है नहीं तो 40 साल के पहले मेमोग्राफी नहीं करनी है क्योंकि इसमें भी रेडिएशन एक्पोजर होता है जो भी स्तन कैसा का कारण बन सकता है।

आर्या शर्मा – ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं को जानकारी नहीं होती वो इस सिचुएशन को केस हैंडिल करें?

डॉ श्याम अग्रवाल – आज ग्रामीण क्षेत्र में भी मोबाइल होता है जिसके माध्यम से इंटरनेट, यूट्यूब से स्तन कैंसर के बारे में जान सकते हैं। ये अब कोई राकेट साइंस नहीं है, तकनीक गांव गांव पहुँच गई है। बस इसके लिए महिलाओं में जागरूकता की जरुरत है तो वे भी लाभ उठा सकती है।

आर्या शर्मा – स्तन कैंसर के लिए ट्रीटमेंट ऑप्शन क्या उपलब्ध है?

डॉ श्याम अग्रवाल – आज ब्रेस्ट कैंसर के लिए जितने भी अत्याधुनिक रिसर्च हुए हैं वो किसी और फील्ड में नहीं हुए हैं। आज हम स्तन कैंसर को सिंगल डिसीज नहीं मानते, इट इज ए  डिसीज ऑफ़ फैमिली। तो उसमें सर्जरी, कीमो थेरेपी, रेडियो थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, टारगेट थेरेपी और इम्यूनो थेरेपी जैसे बहुत इलाज हैं जिससे मरीज की लाइफ को बचाया जा सकता है।

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पहले के समय में सर्जरी में स्तन को निकाल दिया जाता था लेकिन आजकल नहीं करते। आजकल ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी भी हो रही है जिससे महिला की गठान को केवल निकालते हैं बाकि स्तन को नार्मल कॉस्मेटिक सर्जरी से नार्मल किया जाता है। रेडियो थेरेपी में भी एसबीआरटी, आईएमआरटी तकनीक आ गई है जो अच्छे परिणाम दे रही है।

कीमो थेरेपी में पहले बाल उड़ जाते थे, तकलीफ होती थी उसकी जगह अब टारगेट थेरपी ने ले ली है, ये कैंसर सेल पर ही अटैक करती है, नॉर्मल टिशू को या सेल को नहीं मारेगी। इम्यूनो थेरेपी में आपके शरीर के टी सेल्स को एक्टिवेट कर कैंसर के अगेंस्ट डायरेक्ट करती है कि कैंसर किल करें। आपको पता ही नहीं लगता कि ये कैंसर पेशेंट है और इसका ट्रीटमेंट हो रहा है।

डॉ श्याम अग्रवाल ने कहा कि नई दवाओं, सर्जरी, थेरेपी से अब हम मरीज की लाइफ को बहुत आगे ले जाते हैं जबकि 10 साल पहले ऐसा नहीं था।

आर्या शर्मा – बेस्ट ट्रीटमेंट क्या है और जो गरीब हैं वो कौन सा ट्रीटमेंट ले सकते हैं?

डॉ श्याम अग्रवाल – आयुष्मान भारत में सभी तरह के इलाज उपलब्ध है जो गरीब ले सकते हैं। हमें ख़ुशी होती है कि पहले हम जिन लोगों का इलाज नहीं कर पाते थे आज आयुष्मान कार्ड की मदद से कर पाते है। मोदी जी की बहुत अच्छी योजना है जिससे गरीबों को फ्री इलाज मिल रहा है। रही बात सबसे अच्छी पद्धति की तो ये डॉक्टर मरीज की स्टेज देखकर डिसाइड करता है यदि मरीज अर्ली स्टेज में है तो सर्जरी और यदि एडवांस स्टेज में हो थेरेपी ही चूज करनी होती है।

आर्या शर्मा – आपने रेडिएशन की बात की तो क्या किसी कैंसर पेशेंट को फिर से कैंसर हो सकता है?

डॉ श्याम अग्रवाल – आपने बहुत तकनीकी सवाल पूछा है, हां ऐसा होता है, जैसे अपेंडिक्स को निकलकर हम फिर से पेशेंट को नहीं बुलाते लेकिन स्तन कैंसर के ट्रीटमेंट के बाद उसका फॉलोअप लेते है। ये बीमारी सेलुलर बीमारी है यदि शरीर में किसी सेल की इम्युनिटी कमजोर होती है तो फिर से उभरकर आ सकती है इसलिए फॉलोअप बंद नहीं करते, वापसी के चांसेज होते है। रेडिएशन देने के बाद भी कई बार कैंसर हो सकता है , एक एनजीओ सारकोमा कैंसर होता है जो स्तन कैंसर की रेडियो थेरेपी देने के बाद हो सकता है तो इसी लिए हम लोग गंभीर रहते है और पेशेंट का फॉलोअप लेते रहते हैं।

आर्या शर्मा – डाइट और लाइफ़ स्टाइल में क्या चेंजेस करने चाहिए?

डॉ श्याम अग्रवाल – कॉलेज गोइंग स्टूडेंट या करियर फोकस्ड महिलाएं, नव युवतियां फ़ास्ट फ़ूड  पिज्जा बर्गर खाते हैं  इसमें जो प्रिजर्वेटिव होता है वो नुकसान पहुंचाता है उससे न्यूट्रिशन नहीं मिलता केवल पेट भरता है जिससे नुकसान होता है। इसलिए हरी सब्जियां खानी चाहिए,  दिन में तीन बार फल खाएं, डार्क स्किन वाले फ्रूट स्तन कैंसर से बहाने में सहायता करते हैं। स्मोकिंग एल्कोहल नहीं लेना चाहिए।  और सबसे अच्छी बात,  जल्दी शादी करें और पहला बच्चा जल्दी हो जाये जो स्तन कैंसर से बचा जा सकता हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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