नसबंदी कराने आई महिलाओं को अर्धबेहोशी की हालत में घर वापस भेजने वाले सर्जन पर कार्रवाई

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा एक मामले में स्वसंज्ञान लेने पर कमिश्नर, रीवा द्वारा जिला चिकित्सालय, सतना में पदस्थ विशेषज्ञ एवं एलटीटी सर्जन डा. एम.एम. पाण्डे की दो वेतनवृद्धियां असंचयी प्रभाव से रोककर आर्थिक दंड दिया गया है। गौरतलब है कि सतना जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, रामपुर बघेलान में 11 नवम्बर 2020 को नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था। शिविर में आईं सभी महिलाओं को एंटीबायोटिक और अर्धबेहोशी का इंजेक्शन दिया गया। नसबंदी करने आए सर्जन ने कोविड-19 का हवाला देकर 10 से अधिक नसबंदी आपरेशन करने से इन्कार कर दिया। ऐसे में 12 महिलाओं को अर्धबेहोशी की हालत में ही घर भेज दिया गया। दो की तबीयत बिगड़ गई। इधर सर्जन डा. पाण्डे ने आरोप लगाया कि कोविड-19 प्रोटोकाॅल के विपरीत सभी आपरेशन करने का दबाव बनाया जा रहा था। आपरेशन नहीं करने पर दरवाजा बाहर से बंद करा दिया गया था।

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आयोग ने मामला सामने आने के बाद  कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सतना तथा संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, भोपाल से प्रतिवेदन मांगा था। इसी प्रकरण में आयोग को क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, रीवा संभाग का प्रतिवेदन मिला है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सतना द्वारा रामपुर बघेलान में आयोजित एलटीटी कैंप में 21 महिलाओं को नसबन्दी हेतु लाया गया था, जिसमें इंजेक्शन लगाये जाने उपरांत सर्जन द्वारा आपरेशन नहीं किये जाने की शिकायत मिलने पर तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सतना द्वारा प्रथम दृष्टया एलटीटी सर्जन डाॅ. एम.एम. पाण्डे की लापरवाही प्रतीत होने का लेख करते हुये उचित निर्णय लेने की अनुशंसा कलेक्टर, सतना को की गई। कलेक्टर, सतना के प्रतिवेदन के आधार पर कमिश्नर, रीवा ने बरती गई घोर लापरवाही के लिये जिला चिकित्सालय, सतना में पदस्थ सर्जिकल विशेषज्ञ व एलएलटी सर्जन डाॅ. एम.एम. पाण्डे की दो वार्षिक वेतनवृद्धियां असंचयी प्रभाव से रोक दी हैं। चूंकि मामले में अंतिम कार्यवाही हो चुकी है, अतः आयोग में यह प्रकरण अब समाप्त कर दिया गया है।


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Harpreet Kaur