आखिर कमलनाथ ने क्यों डाली अधिकारियों पर घोषणा की जिम्मेदारी

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भोपाल

मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार कमलनाथ छिंदवाड़ा पहुंचे। यहां उन्होंने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोग घोषणाएं सुन सुनकर थक चुके हैं, इसलिए अब मैं घोषणाएं नहीं काम करूंगा।  अब प्रदेश में मंच से अधिकारी विकास कार्यों की घोषणा किया करेंगे और उनके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी  अगर तय समय सीमा में काम पूरा नहीं होता है तो अधिकारी जवाबदेह होंगे।  यानी अब मंत्री और विधायक घोषणा करने की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगे। इस दौरान कमलनाथ ने इसकी वजह भी बताई। 

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश की नौकरशाही घोषणाएं बनाने में उस्ताद है लेकिन उसका डिलीवरी सिस्टम ढीला है। इसलिए अब जब घोषणा ही नौकरशाही करेगी तो जाहिर तौर पर उसके ऊपर यह नैतिक जिम्मेदारी होगी कि वह की गई घोषणाओं को पूरा भी करें।हालांकि कमलनाथ का यह नवाचार कितना सफल होगा यह तो भविष्य ही बताएगा लेकिन देश भर में इस नए प्रयोग की चर्चा है और उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में घोषणाएं अब केवल घोषणा बनकर नहीं रह जाएंगी बल्कि मूर्त रूप भी ले पाएगी।

बताते चले कि पिछली सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ही घोषणाएं किए करते थे।इसी के चलते विपक्ष (कांग्रेस) द्वारा उन्हें घोषणावीर की उपाधि भी दी गई थी। कांग्रेस ने इसको लेकर कई बार सवाल भी उठाए थे। हालांकि काफी हद तक बाद सत्य भी थी, चुंकी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा घोषणाएं तो की जाती लेकिन उन्हें पूरा करने में सालों साल बीत जाते थे। जिसका परिणाम कही ना कही भाजपा को सत्ता गंवाकर देखने को मिला।


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