भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद सपाक्स का रुख अब लोकसभा चुनाव की ओर है।राजनैतिक दलों के साथ सपाक्स भी अब 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया है।सपाक्स विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में एट्रोसिटी एक्ट का मुद्दा भुनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सपाक्स ‘कार्यकर्ता जोड़ों अभियान’ भी चलाने जा रहा है। इसमें एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ अभियान चलाकर कार्यकर्ता जोड़ें जाएंगे।इसके लिए गांव, कस्बे और छोटे शहरों पर फाेकस किया जाएगा। यह सपाक्स का पहला चुनाव है।
यह अभियान ब्लाक और जिला स्तर पर भी चलाया जाएगा। पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसके लिए तैयारी शुरू कर दी हैं। पार्टी सदस्यता अभियान भी शुरू करने की तैयारी कर रही है। भले ही चुनाव अप्रैल के आसपास होंगे लेकिन प्रत्याशियों की स्क्रूटनी का काम इस माह या जनवरी से शुरू कर दिया जाएगा ताकि विकल्प में से बेहतर प्रत्याशी चुने जा सकें। सपाक्स पार्टी ब्लाॅक और जिला स्तर पर बड़े पैमाने पर सदस्यता अभियान भी चलाएगी। ब्लाॅक अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष के साथ ही सभी स्थानों पर कार्यकारिणी गठित की जाएगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि बेहतर ढंग से कार्यों का क्रियान्वयन हो सके। जिला स्तर पर पार्टी कार्यालय भी खोले जाएंगे।इस अभियान के माध्यम से संगठन को मजबूत किया जाएगा।
यह सपाक्स का पहला चुनाव है। हालांकि सपाक्स पहले ही ऐलान कर चुका है कि वह विधानसभा के बाद 29 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा।सपाक्स का मनान है कि उनके पास अब और कोई विकल्प ही नहीं बचा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही वोट के लिए समाज के एक बड़े वर्ग को लगातार दबाते आ रहे हैं, अब और दबाव नहीं झेलेंगे। बीते महिनों भारत बंद ने सपाक्स को देशव्यापी पहचान दी है। इसी पहचान के साथ वे जनता से समर्थन मांगेंगे। सपाक्स के इस फैसले ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही नींद उड़ा दी है। अगर सपाक्स मप्र विधानसभा चुनाव में अपना खाता खोलती है तो आने वाले लोकसभा चुनाव में उसे बल मिलेगा। सपाक्स की सियासत मजबूत पार्टियों के लिए आखिर कितनी मुश्किल पैदा करेगी ये आने वाला वक्त ही बताएगा।