भोपाल। जी हां कल पूरा देश गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है । मध्य प्रदेश में संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं । एक ओर तो सरकार सबके हितों मौलिक अधिकारों की रक्षा की बात करती है। वहीं अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की उन महिलाओं के अधिकारों के अधिकारों का खुलेआम हनन होते देख चुपचाप तमाशा देखती है। जो ना सिर्फ सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2017 में पीएससी में चयनित हुई बल्कि सर्वोच्च अंक प्राप्त कर चयन सूची में प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान पर है ।
मेरिट में चयनित होने के कारण इनका चयन अनारक्षित सीट पर हुआ है। चयन सूची के अंतिम उम्मीदवार को भी नियुक्ति दी गई है। ये 91मेरिटोरियस महिला असिस्टेंट प्रोफेसर्स न्यायालय के किसी भी निर्णय से प्रभावित नहीं हैं। ना ही इनकी नियुक्ति को माननीय न्यायालय ने रोका है किन्तु फिर भी उच्च शिक्षा विभाग कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करके मनमाने ढंग से इनकी नियुक्ति रोक रहा है। दो माह से लगातार ये विभाग से गुहार लगा रहीं है। नियुक्ति की मांग कर रहीं है।
उच्च शिक्षा विभाग एवम् शासन प्रशासन को नींद से जगाने हेतु इं 91 प्रोफेसर्स ने 5जनवरी को भोपाल के नीलम पार्क में सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया था एवम् सरकार को समय दिया था कि वे जल्द ही इनकी नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। धरना स्थल पर एसडीएम भोपाल ने इनकी मांग हेतु ज्ञापन स्वीकृत किया था । किन्तु आज दिनांक तक इं मेरिटोरियस असिस्टेंट प्रोफेसर को नियुक्ति नहीं दी गई ना ही इसके लिए विभाग ने कुछ प्रयास किए।संवैधानिक संस्था पीएससी से चयनित होने के बावजूद, मेरिट में होने के बावजूद सबसे काम अंक वाले चयनितों की नियुक्ति को लगभग दो माह पूर्ण होने के बावजूद इं महिलाओं को नियुक्ति ना देना क्या इनके संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं है? क्या मध्य प्रदेश सरकार संविधान का अपमान नहीं कर रही?? अब फिर ये महिला सहायक प्राध्यापक अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हेतु भोपाल में आंदोलन करने को विवश हैं फिर भी शासन इन्हे अनुमति नहीं दे रहा । अनुमति ना मिलने पर भी अब ये आंदोलन करेंगी। मुख्यमंत्री निवास पर धरना देंगी।अब या तो ये नियुक्ति लेकर उठेंगी या इच्छामृत्यु।