MP News: जब किसान ने पूछा- लहसुन का भाव, कृषि मंत्री कमल पटेल ने दिया ये जवाब

Pooja Khodani
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KAMAL PATEL

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें धार जिले का एक किसान सुनील पाटीदार लहसुन के भाव को लेकर मंत्री जी से चर्चा कर रहा है। इस ऑडियो में किसान ने कम रेट मिलने की अपनी मजबूरी और परेशानी बताई तो मंत्री ने भी अपनी बेबसी बता दी।साथ ही साथ मूंग और मटर की खेती करने का भी सुझाव दे दिया, हालांकि कमल पटेल ने उन्हें आश्वासन दिया कि कुछ करते है।

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खास बात तो ये है कि यह ऑडियो ऐसे समय पर आया है, जब प्रदेश में लहसुन की बंपर पैदावर हुई है लेकिन उचित दाम ना मिलने से परेशान किसान बोरों में भरकर इसे नदी नालों में फेंक रहे है। वही हाल ही में कमल पटेल का एक बयान भी सामने आया था, जिसमें वे कह रहे थे कि किसानों की फसल आती है। तो वह उसको रोकते नहीं है।उसको लेकर एक साथ मंडी में चले जाते हैं। और व्यापारियों की खरीदारी की कैपेसिटी से ज्यादा माल मंडी में आने की वजह से उसका मौका मिलता है। जबकि बाद में उसी माल को बड़े उद्योगपति स्टोर कर कर के 10 गुना ज्यादा पैसा कमाते हैं।

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इसके आगे कमल पटेल का कहना है कि, वो एक लाख करोड़ के कृषि अधोसंरचना विकास फंड के माध्यम से किसानो को वेयरहाउस कोल्ड स्टोरेज और छोटे छोटे फ्रीजर देने का काम करेंगे। इसमें तीन परसेंट ब्याज की छूट रहेगी वहीं 40,50 प्रतिशत सब्सिडी भी रहेगी। प्रदेश में इस योजना के माध्यम से किसान अपनी लहसुन की फसल को आसानी से स्टोर करेगा और भाव बढ़ने पर उसे अच्छे दाम में बेच सकेगा।

किसान और कृषि मंत्री के बीच बातचीत के अंश

  • किसान- जय श्री राम
  • कृषि मंत्री- कौन बोल रहा है?
  • किसान- जी, मैं सुनील पाटीदार बोल रहा हूं धार जिले से।
  • कृषि मंत्री- हां बोलो।
  • किसान- सर, ये लहसुन का रेट क्या है, क्या नहीं?
  • कृषि मंत्री- लहसुन का रेट मैं कहां से दूं। यार भैया.. थोड़े दिन दो महीने रुको रेट चार गुना हो जाएंगे।
  • किसान- कहां से हो जाएंगे, नई फसल आने वाली है एक महीने बाद, वही समझ में नही आ रहा।
  • कृषि मंत्री- तो फिर एक महीने बाद नई लगने वाली है, तो अब तक रेट कहां गए थे?
  • किसान- वही तो समझ नहीं आ रहा था। 700-800 तो फरवरी मार्च से चल रहे थे।
  • कृषि मंत्री- फसल कब आएगी?
  • किसान – फसल अब नवंबर में लगने वाली है। अब फरवरी में एक फसल निकल गई। मैंने आपका एक स्टेटमेंट देखा एक और नई फसल आ रही है।
  • कृषि मंत्री- सुनो, मेरे पास कृषि विभाग है इसमें ये लहसुन-प्याज आता ही नहीं हैं। ये उद्यानिकी में आता है उद्यानिकी मंत्री से बात करो। मैं किसान हूं इसलिए तुम्हारा सपोर्ट करता हूं। मैं किसान के लिए कृषि मंत्री और कृषि मंत्री से इसका निर्यात खोलने की मांग करके आया हूं। निर्यात खुला हुआ है। कभी-कभी तुमको रेट डबल-ट्रिपल मिलता है।
  • किसान- वो तो मिलते हैं, मगर अभी दो साल से किसान परेशान हो रहा है।
  • कृषि मंत्री- तो ऐसी चीजें मत बोओ, जिसके रेट अच्छे मिलें वो उगाओ।
  • किसान- कौन सी फसल बोएं? प्याज के भी रेट ऐसे मिल रहे। किसान की लागत नहीं निकल रही। सोयाबीन भी राउस आ गए। फसल खराब हो गई। कोई अधिकारी धार जिले में सर्वे को भी नहीं आ रहा।
  • कृषि मंत्री- मूंग की फसल उगाओ, उसमें बहुत कमाई हो रही है।
  • किसान- धार जिले में मूंग होती नहीं है। हमारे जिले में सोयाबीन, मटर, गेहूं की खेती होती है।
  • कृषि मंत्री- अरे, तुम्हारे यहां तो नर्मदा जी की पाइप लाइन है न।
  • किसान- अभी कहां आई नर्मदा जी की पाइप लाइन उसे आने में तो सालों लग जाएंगे।
  • कृषि मंत्री- चलो ठीक है। तुम्हारे लिए कुछ करते हैं।

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MPBREAKING News इस वायरल ऑडियो की पुष्टी नही करता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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