भोपाल।
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार सबको हैरान कर दिया। सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे एमपी में देखने को मिले है। यहां विधानसभा में शानदार प्रदर्शन कर सत्ता में आई कांग्रेस एक सीट पर सिमट कर रह गई। मोदी लहर का ऐसा असर हुआ कि कई दिग्गजों के किले ढ़ह गए, यहां तक की राजा-महाराजा भी हार गए।वैसे तो नेताओं की हार-जीत में नोटा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन इस चुनाव में खास बात तो ये रही कि मोदी मैजिक के सामने नोटा का नही टिक पाया और लोगों ने बढ़चढ कर वोट किया। जबकी विधानसभा के दौरान नोटा का आंकड़ा पांच लाख से ज्यादा का था, लेकिन एमपी से बीजेपी की सत्ता जाने के बाद पांच महिनों में मोदी लहर ने लोगों के मन पर ऐसा छाप छोड़ी कि लेकिन ने नोटा को ना कहते हुए बंपर वोंटिग की और कई उम्मीदवार तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए और कांग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ हो गया।
लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में चार चरणों में हुए मतदान में पांच करोड़ से अधिक मतदाताओं में से तीन करोड़ 65 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया, जो लगभग 71 प्रतिशत है। इनमें से दो करोड़ 14 लाख से अधिक वोट (58 प्रतिशत) भाजपा के खाते में गए। कांग्रेस को लगभग एक करोड़ 27 लाख (34.50 प्रतिशत) वोट मिले। हैरानी की बात तो ये रही कि शहरी क्षेत्रों के निवासियों ने जहां एक ओर इनमें से कोई न���ीं (नोटा) का बटन दबाने से परहेज किया, वहीं आदिवासी बहुल सीटों के मतदाताओं ने जमकर नोटा दबाते हुए अपने सभी प्रत्याशियों को खारिज कर दिया बावजूद इसके मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की वेवसाइट पर जारी चुनाव परिणाम के मुताबिक केवल 3,40,984 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना था, जो कुल मतदान का 0.92 प्रतिशत है।जो कि हाल ही में हुए विधानसभा की तुलना में भी बहुत कम है।मोदी लहर ने पांच महिने में लोगों का ऐसा मन बदला कि नोटा भी बेअसर हो गया।
2014 और 2019 में नोटा का अंतर
अगर 2014 की बात करे तो लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में 3,91,837 मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया था, जो कुल मतदाताओं को 1.32 प्रतिशत था।इस प्रकार इस साल अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में वर्ष 2014 के मुकाबले 0.40 प्रतिशत कम लोगों ने नोटा को वोट दिया।राज्य के चार प्रमुख शहरी संसदीय क्षेत्रों में लोगों ने नोटा का बटन दबाने से परहेज किया। वही जीती हुई छिंदवाड़ा सीट की बात करे तो मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ मात्र 37,536 वोट से चुनाव जीते। यहां नोटा पर 20 हजार 324 वोट पड़े।
किस सीट पर कितना नोटा का असर
-भोपाल सीट पर नेाटा को कुल पांच हजार 430 मत मिले, जो कुल मतदान प्रतिशत का मात्र 0.39 फीसदी रहा।
-इंदौर के भी सिर्फ 0.31 फीसदी लोगों ने नोटा दबाया। यहां नोटा विकल्प पांच हजार 45 लोगों ने चुना।-जबलपुर के चार हजार 102 लोगों ने (0.32 फीसदी)
– ग्वालियर के पांच हजार 343 (0.45 फीसदी) लोगों को अपना कोई प्रत्याशी रास नहीं आया।
-प्रदेश की मुरैना संसदीय सीट पर नोटा को सबसे कम दो हजार 98 मत प्राप्त हुए।
-रतलाम में सर्वाधिक 35,431 मतद���ताओं ने नोटा को चुना। यह यहां कुल मतदान का 2.53 प्रतिशत रहा।
-भिण्ड में सबसे कम यानी 2082 लोगों ने यहां खड़े उम्मीदवारों को नकारते हुए नोटा का बटन दबाया।