तीन झांकियों के बीच में फंसी शव यात्रा, शांति समिति की बैठक में हुए निर्णय को प्रशासन ने नहीं उतारा जमीन पर

भोपाल,रवि नाथानी। राजधानी भोपाल (bhopal) सहित उसके व्यापारिक नगर में दुर्गा उत्सव की धूम मची हुई है। लेकिन इस उत्सव के दौरान बैरागढ़ में एक ऐसी दुखद घटना देखने को मिली,जिसे देख बेहद तकलीफ हुई। बैरागढ़ के ए न्यू मार्ग पर एक घर में गमी हो गई,गमी के बाद जब शव को हिन्दु रस्मों रिवाज के बाद शमशान घाट ले जाने की तैयारी होने लगी तो शव यात्रा तीन झांकियों के बीच में फस गई,बड़ी मुश्किल से शव यात्रा को जैसे तैसे करके स्वर्ग रथ तक लाया गया और इसके बाद वैकुंठ धाम शव यात्रा पहुंची।

यह भी पढ़े…Hero की नई बाइक हुई लॉन्च, मचाएगी फेस्टिव सीजन में धूम, मिलेंगे कई नए फीचर्स, इतनी है कीमत, जानें

संनगर थाने में शांति समिति की बैठक में तय किया गया था कि रास्ता छोडक़र झांकी स्थापना की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मामला शेरा हाथी बिल्डिंग रोड पर एनयू 43 में रहने वाले ईश्वर वाधवानी का निधन हो गया, जिनकी अंतिम यात्रा दोपहर 12 बजे निकली। यात्रा सहजता से निकल सके इसकी जगह परिजनों को नहीं मिली। मृतक के घर की ओर से जाने वाला हर रास्ता झांकी से बंद था। वाहन तो दूर यहां से पैदल निकलना भी आसान नहीं है।

यह भी पढ़े…रोजगार पाने का सुनहरा मौका, 29 सितंबर को यहां प्लेसमेंट ड्राइव

लोगों ने जताई नाराजगी

अप्रिय हालातों पर परिजनों और पड़ोसियों ने खासी नाराजगी जताई। मृतक की बेटी सुनीता हिमथानी का कहना है कि यह हर साल की समस्या है। चलो अंतिम यात्रा तो जैसे-तैसे करके निकाल गई। यह किसी को एम्बुंलेंस से ले जाने की जरूरत होती तो क्या करते। आग लग जाए तो फायर बिग्रेड भी नहीं आ सकेगी। समझ नहीं आता रास्ते को बंद कर झांकी क्यों लगाई जाती है। आयोजन समिति और पुलिस प्रशासन इसके लिए सीधे जिम्मेदार है।

पांच साल पहले हो चुकी हैं मौत

लोगों का माने तो ऐसी ही स्थिति के चलते तीन अक्टूबर 2018 में गुरबानी परिवार में बहू को ह्दयाघात होने से एम्बुलेंस से ले जाना संभव नहीं हुआ था। बंद रास्ते से रोड तक उठाकर ले जाना पड़ा था, जिसमें समय लगने के कारण उनकी मौत हो गई थी। डॉक्टर ने कहा था-10 मिनट पहले आ जाते तो बचाया जा सकता था।


About Author
Amit Sengar

Amit Sengar

मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

Other Latest News