अल्पसंख्यक मोर्चे के नेताओं के इस्तीफे पर डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा

भोपाल। एनआरसी-सीएए को लेकर दो धाराओं में बह रही भाजपा और कांग्रेस ने देशभर में कार्यकर्ताओं का भी विभाजन कर दिया है। जहां कांग्रेस समर्थित और अन्य दलों के लोग इस कानून के विरोध में खड़े दिखाई दे रहे हैं, वहीं भाजपाई इसके लिए समर्थन जुटाने के लिए सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। इधर पार्टी की रीति-नीति से असंतुष्ट होकर भाजपा से जुड़े मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा देकर पार्टी से दूरी बनाना शुरू कर दी है। राजधानी भोपाल से उठी यह आवाज देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंची है। हालात यह बन गए हैं कि पार्टी को अब सामने आकर इस बात का स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है कि इस्तीफा देने की कवायद इसलिए हुई है कि पार्टी ने इन पदाधिकारियों को पार्टी विरोधी काम करने को लेकर निष्कासन की तैयारी कर ली थी। 

एनआरसी और सीएए के विरोध में खुलकर उतरे भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के कई प्रदेश पदाधिकारी पार्टी के लिए बवाल-ए-जान बन गए हैं। जहां एक तरफ दर्जनों पदाधिकारियों, सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने एकमुश्त इस्तीफा देकर पार्टी से मोहभंग होने का ऐलान कर दिया है, वहीं भाजपा पदाधिकारी इस बात का स्पष्टीकरण देते नजर आ रहे हैं कि अल्पसंख्यक मोर्चा पदाधिकारियों ने इस्तीफा नहीं दिया, बल्कि उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया है। हालांकि इस बात में विरोधाभाषी तथ्य यह है कि अल्पसंख्यक मोर्चा पदाधिकारियों के इस्तीफा ऐलान करने के बाद पार्टी ने उनके निष्कासन की चि_ी जारी की है। इसमें भी खास पहलू यह है कि निष्कासित किए गए पदाधिकारियों को अब तक पार्टी स्तर पर न तो निष्कासन की सूचना दी गई है और न ही उन्हेंं किसी तरह का कोई नोटिस ही जारी किया है। निष्कासन संबंधी बातें महज सोशल मीडिया पर ही उल्लेखित की जा रही हैं। इसको प्रचारित करने में कुछ मुस्लिम भाजपाई ही जुटे दिखाई दे रहे हैं। 


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