भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद अब पार्टी को आर्थिक संकट से गुज़रना पड़ रहा है। मंदी के दिनों में पार्टी को चंदा नहीं मिल रहा है। जिससे पार्टी की आजीवन सहयोग निधि पर भी संकट के बादल छा रहे हैं। पार्टी ने सत्ता में रहते हुए 10 करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी को चंदा जुटाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आजीवन सहयोग निधि से मिलने वाले फंड में 70 फीसदी की गिरावट आ गई है। 2019 में पार्टी को आजीवन सहयोग निधि के तहत सिर्फ 3 करोड़ का ही फंड मिला। जबकि लक्ष्य 10 करोड़ का रखा गया था। वहीं सत्ता में रहने के दौरान पार्टी ने 2018 में 10 करोड़ और 2017 में नौ करोड़ की रकम आजीवन सहयोग निधि से जुटाई थी।
फंड से पार्टी कार्यलय का होता है काम
फंड में आई कमी के कारण पार्टी के आर्थिक हालत सेहत बिगड़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी को खर्च के लिए एफडी तोड़ना पड़ रही है। इस रकम से ही पार्टी को रोज़मर्रा के काम काज को अंजाम दिया जाता है। कार्यालय के रखरखाव, कर्मचारियों को वेतन, से लेकर पार्टी बैठकों में होने वाले खर्च सब इसी से होते हैं। आजीवन सहयोग निधि का आधा पैसा प्रदेश कार्यालय और आधा जिला कार्यालय के बीच बांटा जाता है। पार्टी अब फिर से पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि 11 फरवरी से फंड जुटाने के लिए अभियान शुरू करने पर विचार कर रही है।