प्रज्ञा के समर्थन में नहीं निकल रहे भाजपाई, संघ खुलकर उतरा

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भोपाल। भारतीय जनता पार्टी की भोपाल लोकसभा से प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के प्रचार को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में उस तरह का उत्साह नहीं है, जिस तरह पिछले चुनावों में देखने को मिला था। ऐसी स्थिति में प्रज्ञा के समर्थन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों ने मोर्चा संभाल लिया है। संघ कार्यालय में हाल ही में हुई बैठक में तय किया है कि भोपाल संसदीय क्षेत्र में हर बूथ पर दो-दो स्वयं सेवकों की तैनाती की जाएगी। बेशक भोपाल में चुनाव भाजपा और कांगे्रस के बीच है, लेकिन प्रतिष्ठा संघ की दाव पर लगी है। 

भोपाल संसदीय क्षेत्र करीब 30 साल से भाजपा के कब्जे में है। इस बार कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को चुनाव मैदान में उतारकर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ा कर दी है। संघ की ओर से प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा प्रत्याशी बनाया है। चूंकि प्रज्ञा का भाजपा कार्यकर्ताओं से सीध संवाद नहीं है। ऐसे में कार्यकर्ता उस तरह चुनाव के लिए नहीं जुटे हैं, जिस तरह से वे अपने समर्थक नेताओं के लिए जुटते हैं। टिकट तय होने के बाद पार्टी ने भोपाल संसदीय क्षेत्र में स्थानीय विधायकों के अलावा , पूर्व मंत्री, विधायक एवं अन्य पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन इन पदाधिकारियों के साथ उनके समर्थक कार्यकर्ता उतनी संख्या में नहीं दिख रहे हैं, जितनी संख्या में खुद के चुनाव में दिखाई देते थे। यही वजह रही कि संघ ने स्वयं सेवकों को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है। 

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इसलिए उतरा संघ 

भाजपा हाईकमान ने करीब 10 दिन पहले प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया था। जबकि कांग्रेस ने भाजपा से एक महीने पहले दिग्विजय सिंह को प्रत्याशी तय कर दिया था। इस दौरान दिग्विजय सिंह चुनाव प्रचार एवं रणनीति में काफी आगे निकल गए। प्रज्ञा के समर्थन में भाजपा नेतााओं को जिस तरह से काम करना चाहिए था, उस गति से नहीं कर रहे। यही वजह कि संघ को स्वयं सेवक उतारने का फैसला लेना पड़ा है। 

पहली बार खुलकर आया संघ

अभी तक संघ राजनीति में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इंकार करता आया है। लेकिन संघ प्रज्ञा ठाकुर के समर्थन में पहली बार खुलकर चुनाव मैदान में आया है। जिस तरह से संघ के पदाधिकारी भाजपा नेताओं के साथ संघ कार्यालय में बैठकर चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं। पार्टी प्रत्याशी को जनता के बीच क्या बोलना है क्या नहीं बोलना यह भी संघ नेता तय कर रहे हैं। 


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