भोपाल। विधानसभा चुनाव में मिली हार से सबक न लेते हुए एक बार फिर भाजपा को प्रत्याशी चयन खटक रहा है| कई सीटों प्रत्याशियों के कारण भाजपा की स्तिथि कमजोर हो गई है, जबकि यह सीटें भाजपा का गढ़ मानी जाती है| आगामी 12 मई को जिन लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है, उनमें कई सीट सिर्फ प्रत्याशियों के कारण उलझ गई हैं। इनमें भोपाल, राजगढ़, ग्वालियर, सागर, विदिशा, मुरैना जैसी सीटें जहां अब तक बिना फाइट के ही बीजेपी को जीत मिलती रही है, लेकिन इस बार पूरा जोर लगाने के बाद भी माहौल बीजेपी के अनुकूल नहीं बन पाया है|
राजगढ़ में रोडमल नागर को विरोध के बाद भी टिकट देना मुश्किलें पैदा कर रहा है| वहीं विदिशा में पार्टी को पूरा जोर लगाना पड़ रहा है। सागर के हालात ये हैं कि प्रधानमंत्री से लेकर सारे नेताओं की सभा कराई जा चुकी है। ग्वालियर में भी हालात कुछ मिलते-जुलते हैं। पार्टी नेताओं का माना है कि कहीं न कहीं प्रत्याशियों के उचित चयन न होने से इन सीटों पर भाजपा के समीकरण उलझ गए हैं।
भोपाल में बढ़ रही मुश्किलें
भोपाल सीट पर मुकाबला टक्कर का हो गया| दिग्विजय की मजबूत स्तिथि और फीडबैक को देखते हुए संघ ने मोर्चा संभल रखा है| वहीं भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को राजनीतिक अनुभव न होने से भी कई दिक्कतें आ रही हैं। यहां प्रत्याशी चयन बहुत मायने रखता है क्यूंकि इस सीट पर बीजेपी और संघ दोनों की ही प्रतिष्ठा दांव पर है| जबकि साध्वी प्रज्ञा को ज्यादा नुक्सान नहीं होगा| इसलिए संघ के निर्देश पर सभी दिग्गज मैदान में उतर आये हैं| पार्टी नेताओं की मानें तो साध्वी को कई महत्वहीन लोगों ने घेर रखा है, जिस कारण पार्टी कार्यकर्ता परेशान हैं। वे बार-बार भाजपा के लोगों पर अविश्वास जता देते हैं। इस कारण भी कार्यकर्ता दूरी बनाये हुए हैं|
अपने ही गढ़ में फंसी भाजपा, प्रत्याशियों को मिल रही चुनौती
भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी को मिले फीडबैक के तहत कुछ सीटों पर प्रत्याशियों के कारण कार्यकर्ताओं और संगठन में पटरी नहीं बैठ पा रही है। राजगढ़ में विरोध के बाद भी रोडमल नागर को टिकट देना मुश्किलें बढ़ा रहा है| यहां चाचौड़ा और राघौगढ़ जैसी सीटों पर बीजेपी पिछड़ती नजर आ रही है| वहीं कांग्रेस सरकार के मंत्री जयवर्धन सिंह और प्रियवृत सिंह के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने राजगढ़ सीट पर मोर्चा संभाला हुआ है। यही हाल विदिशा में भी है जहां भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव की स्थिति बहुत मजबूत नहीं है। कार्यकर्ताओं में उत्साह न होने से पूरे लोकसभा क्षेत्र में वैसा माहौल नहीं बन पा रहा है, जैसा पहले के चुनावों में रहा है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी शैलेंद्र पटेल के साथ कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी हुई है। सागर, ग्वालियर, मुरैना जैसी अन्य सीटों पर भी पार्टी की राह आसान नहीं मानी जा रही है। फीडबैक के बाद पार्टी इन सीटों पर बड़े नेताओं के दौरे के साथ जातिगत समीकरण साधने पर जोर दे रही है। कई सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा भी हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी भाजपा को जिताने के लिए कई सभाएं व रोड शो कर चुके हैं। कुल मिलाकर अपने ही गढ़ में भाजपा फंस गई है|