भोपाल। मंजुल पब्लिशिंग हॉउस द्वारा प्रकाशित ब्रजेश राजपूत की किताब ‘चुनाव है बदलाव का’ का विमोचन 18 दिसंबर 2019 को भोपाल के होटल जहाँ नुमा पैलेस में शाम ७ बजे आयोजित किया गया । इस अवसर पर माननीय मुख्य मंत्री श्री कमल नाथ जी मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और किताब का विमोचन भी किया। निवासी जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे । इस अवसर पर मंजुल पब्लिशिंग हाउस के एम् डी विकास रखेजा भी मौजूद थे ।
चुनाव है बदलाव का
किताब के बारे में वरष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने कहा कि, ब्रजेश राजपूत के पास किस्सागोई की शानदार शैली है। पत्रकार की निगाह से वे राजनितिक घटनाओं को गहराई से देखते हैं, साथ ही उसे निरपेक्ष और निष्पक्ष भाव से रोचक शैली में सुनाते भी जाते हैं कि चुनाव कैसे होते हैं, कैसे लड़े जाते हैं और कैसे जीते जाते हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव पर लिखी गई ब्रजेश राजपूत की इस नई किताब में सब कुछ है। राजनीति में रुचि रखने वालों के लिए यह बेजोड़ किताब है।
लेखक ब्रजेश राजपूत ने चुनावों की रिपोर्टिंग के समय के अनुभवों को एक ढांचे में ढाल कर ‘चुनाव है बदलाव का’ तैयार की, जिसके लोकार्पण के अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने इस किताब का परिचय दिया। ब्रजेश राजपूत ने किताब से रोचक प्रसंग साझा किए और मुख्य अतिथि मुख्या मंत्री श्री कमल नाथ से पूछ डाला की उन्हें कैसे आभास हो जाता है कि किस सीट का परिणाम क्या होने वाला है। उन्होंने कहा की १७ दिसंबर को कमल नाथ सरकार को एक वर्ष पूरा हुआ है और उनकी किताब का पहला चैप्टर भी १७ दिसंबर २०१८ से शुरू होता है, इसलिए इस लोकार्पण के लिए कमल नाथ से उपयुक्त कोई अतिथि हो ही नहीं सकता था। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार मनोज शर्मा ने किया।
मुख्य मंत्री ने अपने उद्भोदन में कई बातें साझा करीं जैसे चुनाव रैलियों से ही पता लग जाता है की वहां का मतदाता आपके साथ है या नहीं। उन्होंने कहा चुनाव के बाद बदलाव अच्छे के लिए भी होते हैं और बुरे के लिए भी, क्योंकि यहाँ 15 वर्षों से एक ही पार्टी का शासन था तो उनके काम-काज की मशीनरी अलग तरह से चलती थी, अब उनके आने पर अलग तरह से चलेगी। उनके अनुसार किसी काम के लिए ना कहना बहुत सरल है क्योंकि फिर परिणाम देने की चिंता नहीं रहती। मुख्य मंत्री बनने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि वो खाली कोष कि पूर्ती करें और इस मानसिकता में बदलाव लाएं, जिसके आदि तंत्र के लोग १५ वर्षों में हो गए थे। उन्होंने कहा कि निवेश के लिए विश्वास का वातावरण बनाने कि ज़रुरत है, इसलिए वो बड़े-बड़े आंकड़ों के एम्ओयू में यकीन नहीं रखते, जिनके कागज़ के पैसे बराबर भी निवेश फिर हमें नहीं मिलता। इसके बजाय असली निवेश विश्वास के आधार पर मिलता है, और हाल ही में आये कुछ निवेश इसी का परिणाम हैं। वे मध्य प्रदेश कि ऐसी प्रोफाइल बना रहे हैं जिससे म.प्र. की पहचान देश-विदेश में बने। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 व् मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव 2019 पर आधारित है।
पंद्रह वर्षों से वनवास के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी आसान नहीं थी। इस दौरान न तो कांग्रेस विधानसभा में दमदारी से थी और न ही सड़कों पर असरदार तरीके से दिख रही थी। फिर ऐसा क्या हुआ कि चुनाव जीतने की मशीन बन चुकी बीजेपी और हर वक़्त चुनावी रंग वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के होते हुए भी बीजेपी के हाथ से देखते ही देखते सत्ता फिसल गयी!
बीजेपी को वोट तो कांग्रेस से ज़्यादा मिले मगर सीटें काम क्यों हो गयीं? और जब शिवराज ने बीच चुनाव में पार्टी कि पातलो हालत देख कुछ नए फ़ैसले लेने चाहे तो उनको किसने रोका? सुबह से लेकर देर रात तक सभाएं करने वाले शिवराज सिंह के सामने नपा-तुला प्रचार करने वाले कमलनाथ कैसे आगे निकले, ज्योतिरादित्य सिंधिया कैसे अपने इलाके के बड़े नेता बनकर उभरे और दिग्विजय सिंह कि संगत में पंगत ने कांग्रेस कि जीत में क्या भूमिका निभायी, ग्वालियर चंबल में बीजेपी तो विंध्य प्रदेश में कांग्रेस क्यों साफ़ हुई, बीजेपी के तेरह मंत्री तो कांग्रेस के दिग्गज नेता क्यों हार गए – इन सारे सवालों के जवाब आपको इस किताब में मिलेंगे। ब्रजेश राजपूत पत्रकारिता में पिछले पच्चीस वषों से सक्रिय हैं। अखबार और टेलीविज़न में उन्होंने अच्छा खासा वक़्त बिताया है। वे इन दिनों एबीपी न्यूज़, भोपाल में वरिष्ठ विशेष सवाददाता हैं। टीवी की रोज़मर्रा की रिपोर्टिंग के साथ-साथ लिखने और चुनाव के दौरान घुम्मकड़ी का शौक है, जिसके चलते मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव 2013 पर अपनी पहली किताब चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग के रोमांचक सच्चे किस्सों पर दूसरी किताब ऑफ़ द स्क्रीन लिख चुके हैं, तथा अब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 पर ये किताब प्रस्तुत है, जिसमें मध्यप्रदेश में पंद्रह साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी की कहानी है।
ब्रजेश राजपूत पत्रकारिता में पिछले पच्चीस वषों से सक्रिय हैं। अखबार और टेलीविज़न में उन्होंने अच्छा खासा वक़्त बिताया है। वे इन दिनों एबीपी न्यूज़, भोपाल में वरिष्ठ विशेष सवाददाता हैं। टीवी की रोज़मर्रा की रिपोर्टिंग के साथ-साथ लिखने और चुनाव के दौरान घुम्मकड़ी का शौक है, जिसके चलते मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव 2013 पर अपनी पहली किताब चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग के रोमांचक सच्चे किस्सों पर दूसरी किताब ऑफ़ द स्क्रीन लिख चुके हैं, तथा अब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 पर ये किताब प्रस्तुत है, जिसमें मध्यप्रदेश में पंद्रह साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी की कहानी है। ब्रजेश राजपूत को रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज़म अवार्ड फॉर पोलिटिकल रिपोर्टिंग 2017, दैनिक भास्कर सम्मान 2016 =, मुंबई प्रेस क्लब का रेड इंक अवार्ड 2013 और दिल्ली का मीडिया एक्सीलेंस अवार्ड 2012 मिल चूका है।