भोपाल। आर्थिक संकट से गुज़र रही कमलनाथ सरकार अपना दूसरा बजट पास करने वाली है। लेकिन इस बार फरवरी के बजाए बजट सत्र मार्च-अप्रैल में होने के संकेत मिल रहे हैं। विधानसभा का बजट सत्र इस बार मार्च-अप्रैल में होने की संभावना है। सत्र का फैसला सीएम कमलनाथ करेंगे। आमतौर पर बजट सत्र फरवरी में होता है। और मार्च तक बजट पर चर्चा होती है। विभागों पर चर्चा कम से कम 40 घंटे की चर्चा होती है। हालांकि, प्रदेश का बजट सत्र इससे पहले तीन बार मार्च अप्रैल में पेश हो चुका है।
मंत्रालय और विधानसभा में बजट सत्र की अवधि और शुरुआत को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। प्रारंभिक चर्चा के मुताबिक बजट सत्र मार्च-अप्रैल में होने की संभावनाएं हैं। माना जाता है कि बजट सत्र की बैठकें फरवरी-मार्च में होती हैं और 31 मार्च के पहले बजट पारित कर दिया जाता है। मार्च-अप्रैल में बजट सत्र होने पर बजट तो 31 मार्च के पहले पारित कर दिया जाएगा लेकिन शेष शासकीय-अशासकीय कामकाज को अप्रैल में निपटाया जा सकता है।
वैसे इसके पहले 2006, 2007 मार्च-अप्रैल में बजट सत्र हो चुका है और 2011 में तो यह फरवरी में शुरू होकर अप्रैल तक चला था। बजट सत्र में विभागों की बजट मांगों पर चर्चा के लिए 40 से 50 घंटे की चर्चा होती है लेकिन पिछले कुछ सालों में विभागों की बजट मांगों पर चर्चा सात घंटे में भी पूरी हो चुकी है। बजट सत्र को लेकर विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया है कि अभी संसदीय कार्य विभाग से कोई प्रस्ताव नहीं आया है और मुख्यमंत्री के विदेश से लौटने के बाद ही इस पर कोई फैसला हो सकता है।