टिकट वितरण के बाद मैदान से नदारद हुए दावेदार, कैसे पार पाएंगे उम्मीदवार

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भोपाल/इंदौर।

विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में भी टिकटों को लेकर बीजेपी-कांग्रेस में जमकर घमासान मचा था। खास करके इंदौर लोकसभा सीट को लेकर। बीजेपी में जहां ताई-भाई के मना करने के बाद दावेदारों की लंबी लाइन लग गई थी वही कांग्रेस में भी कई नाम चर्चा में शामिल हो गए थे।दोनों दलों में जमकर प्रत्याशी के नाम को लेकर मंथन किया गया था और आखरी समय तक सस्पेंस बना रखा था। दावेदारों की भी धड़कने तेज थी, लेकिन जब प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया तो हर कोई चौंक उठा  ।कांग्रेस ने जहां पंकज सिंघवी को उम्मीदवार बनाया तो बीजेपी ने शंकर लालवानी को मैदान में उतार दिया। इससे उन दावेदारों की उम्मीद टूट गई जो इस दौड़ में शामिल थे। हैरानी की बात तो ये है कि नामों के ऐलान के बाद से ही दावेदारों ने अपने कदम पीछे हटा लिए। दावेदारों ने ना सिर्फ पार्टी से बल्कि जमीनी कार्यों से भी दूरी बनाए हुए है। स्थिति यह है कि कांग्रेस में दावेदार बैठकों में भाग लेने की औपचारिकता पूरी कर रहे तो वही बीजेपी में दावेदार कार्यक्रमों से नदारद नजर आ रहे है । चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी दावेदार मैदान में नजर नही आ रहा है, जिसके कारण कई सवाल भी खडे हो रहे है। हालांकि पार्टी उन्हें लगातार सक्रिय होने के निर्देश दे रही है बावजूद इसके उनकी दूरी चर्चा का विषय बन गई है।

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भाजपा : न मैदान में न पार्टी कार्यक्रमों में आ रहे नजर

मालिनी गौड़

महापौर मालिनी गौड़ का नाम सबसे पहले दावेदार के रूप में चला। विधायक के बाद सांसद का टिकट देने पर पार्टी फैसला नहीं कर पाई। लालवानी के उम्मीदवार बनने के बाद अभी उनके पक्ष में ज्यादा सक्रियता नहीं दिखी। पार्टी कार्यालय के साथ ही इलाके में किसी राजनीतिक कार्यक्रम में भी वे नजर नहीं आई।

भंवरसिंह शेखावत

बदनावर से विधायक रहे भंवरसिंह शेखावत इस बार चुनाव हारने के बाद से राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। लोकसभा के लिए उनका भी मजबूत दावा था। टिकट नहीं मिलने के बाद से स्थानीय राजनीति में अभी तक उनकी सक्रियता नजर नहीं आई है। किसी पार्टी आयोजन में भी वे नहीं दिखे।

गोपीकृष्ण नेमा

पूर्व विधायक व शहर भाजपा अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा ने भी अंतिम दौर तक टिकट हासिल करने के प्रयास किए। ताई से नाम बढ़ाने की गुहार भी लगाई, लेकिन सफलता नहीं मिली। संगठन की बैठकों में रहते हैं, लेकिन अभी तक पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में किसी तरह के मैदानी दौरे से दूरी बना रखी है।

गोविंद मालू

भाजपा नेता गोविंद मालू ने विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव के लिए भी अपनी दावेदारी जताई थी। लेकिन, पार्टी ने टिकट नहीं दिया। अब स्थानीय उम्मीदवार लालवानी के पक्ष में वे अभी तक मैदान में नजर नहीं आए है। बताया जा रहा है कि देवास-शाजापुर सीट का प्रभार उन्हें दिया है, वहीं सक्रिय हैं।

कांग्रेस : पूरी कर रहे बैठकों में भाग लेने की औपचारिकता

जीतू पटवारी

मंत्री जीतू पटवारी ने टिकट के दिए दम ठोंका था। दावेदारों में उनकी पत्नी रेणुका का भी नाम था। पंकज संघवी का टिकट फाइनल होने के बाद स्थानीय आयोजन में जीतू पटवारी नजर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें दूसरे जिलों में भी जाना पड़ रहा है। उनकी पत्नी ने सभी आयोजनों से दूरी बना ली है।

शोभा ओझा

विधानसभा चुनाव लड़ चुकी शोभा ओझा का नाम भी प्रमुख दावेदारों में था। हालांकि उनकी सक्रियता भोपाल में ही रहती है, उम्मीदवार के पक्ष में विधानसभा 5 में कार्यकर्ताओं की बैठक में नजर आईं, लेकिन उसके बाद से सक्रिय नहीं है। चुनाव कार्यालय के उद्घाटन में भी उनकी उपस्थिति नहीं रही।

प्रीति अग्निहोत्री

पार्षद प्रीति अग्निहोत्री ने विधानसभा टिकट के प्रयास किए, लेकिन ऐनवक्त टिकट फिसल गया। लोकसभा में भी पुरजोर दावेदारी की। टिकट पंकज संघवी को मिला तो वे अपने वार्ड तक ही सीमित हो गई हैं। कांग्रेस उम्मीदवार के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन सहित अन्य किसी आयोजन में नजर नहीं आई हैं।

विनय बाकलीवाल

शुरुआत में कार्यवाहक शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने दावेदारी जताई, दिग्विजसिंह ने मोबाइल का स्पीकर ऑन कर मुख्यमंत्री से बात की तो उन्होंने पहले मजबूत दावेदार नहीं माना। शहर अध्यक्ष प्रमोद टंडन से विनय की बनती नहीं है, यही कारण है कि गांधी भवन की बैठक में भी नहीं पहुंचे।


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