भोपाल। राज्य शासन ने सभी संभागायुक्त और कलेक्टर को बाढ़ एवं अति-वृष्टि की स्थिति से निपटने के लिए बचाव और राहत कार्य के लिये जिला स्तर पर एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिये हैं। बाढ़ की आशंका वाले जिलों में जिला स्तर पर 15 जून या मानसून की वर्षा प्रारंभ होते ही कन्ट्रोल रूम बनाने और आवश्यक होने पर तहसील स्तर पर भी कन्ट्रोल रूम बनाने को कहा गया है। प्रमुख सचिव राजस्व मनीष रस्तोगी ने मैदानी अफसरों की बैठक में यह निर्देश दिए हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रखे विशेष निगरानी
जिन क्षेत्रों में अक्सर बाढ़ आती है, वहाँ निगरानी के लिये विशेष व्यवस्थाएँ करने, आवश्यकता पडऩे पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने, ठहराने आदि के लिये स्थानों की पहचान के साथ सम्पूर्ण योजना तैयार करने को कहा गया है। बाढ़ संभावित क्षेत्रों के लोगों को पंचायत, नगरपालिका, स्थानीय स्वयंसेवी संस्था आदि के सहयोग से बचाव की जानकारी का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।
बाढ़ बचाव उपकरणों को कराएं दुरूस्त
जिला कलेक्टरों से बाढ़ बचाव के उपकरणों, नावों की मरम्मत और उपलब्ध संसाधनों और प्रशिक्षित गोताखोर आदि को सूचीबद्ध करने, आसपास के जिलों में उपलब्ध सामग्री की सूची बनाने और बाढ़ की स्थिति बनने पर अपने जिले के साथ पड़ोसी जिले से बचाव उपकरण और प्रशिक्षित जवानों की टुकड़ी मँगवाकर बचाव और राहत कार्य तुरंत शुरू करने को कहा गया है।
स्थानीय लोगों को सचेत करें
प्रमुख सचिव राजस्व ने कहा है कि बाढ़ की स्थिति बनने पर दूरदर्शन, आकाशवाणी और अन्य जन-संचार माध्यमों से स्थानीय लोगों को सचेत करते रहें। जिन जिलों में बड़ी नदी और नाले बहते हैं, उनके जल-स्तर पर लगातार नजर रखने और उसके खतरे के निशान पर पहुँचने की संभावना पर फौरन राज्य स्तरीय कन्ट्रोल रूम के साथ निचले जिलों को लगातार सूचना देने की व्यवस्था करने और अति-वर्षा की स्थिति में जलाशयों के जल-स्तर पर सतत् निगाह रखने के निर्देश दिये गये हैं। पूर्ण भराव होने पर जलाशयों से नियंत्रित रूप से जल-निकासी और जल भराव वाले क्षेत्रों में अग्रिम सूचना भिजवायी जायेगी।
खाद्य सामग्री का पर्याप्त भंडारण करें
ऐसे दुर्गम स्थल जहां वर्षा ऋतु में पहुंचना मुश्किल होता है, वहां पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री, जीवन रक्षक दवाओं आदि का पर्याप्त भंडारण और बाढ़ के पानी से घिर जाने वाले क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वहां उपलब्ध पेयजल स्त्रोतों को चिन्हांकित कर कार्य-योजना बनाने के लिये कहा गया है।
नदी, नालों, तालाबों की सफाई
कलेक्टरों से कहा गया है कि जिले के नदी, नालों और तालाबों की सफाई करवाकर पानी की निर्बाध निकासी सुनिश्चित करें। नगरीय क्षेत्रों की निचली बस्तियों को अन्यत्र बसाने की वैकल्पिक व्यवस्था करने, जलमग्न सड़कों और पुलियों पर दुर्घटना रोकने के लिये चेतावनी बोर्ड लगाने के भी निर्देश दिये गये हैं।