भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ के ऐलान के बाद प्रदेश में भी सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया है, जो इस पूरे मामले पर नजर रखेगी और सभी पक्षों पर चर्चा कर एक महिने के अंदर सरकार को रिपोर्ट भेजेगी। इस पर भाजपा ने आपत्ति जताई है। भाजपा का कहना है कि आरक्षण को समिति बनाकर लटकाने की अपेक्षा सरकार को इसे सीधे ही लागू करना चाहिए।
दरअसल, केन्द्र की मोदी सरकार ने सर्वणों को 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया था, जिसके बाद कानून में संसोधन किया गया। इसके बाद से ही अन्य राज्यों में इसका लाभ मिलना शुरु हो गया था, लेकिन एमपी में इसे लागू नही किया गया था। इसको लेकर विपक्ष सरकार पर बार बार दबाव बना रहा था। विपक्ष ने लोकसभा चुनाव से पहले इसे हथियार बनाकर सत्ता पक्ष के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरु कर दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां सीएम को पत्र लिखकर आरक्षण लागू करने की मांग की थी। वहीं विधानसभा के बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण नहीं देने पर कमलनाथ सरकार को जमकर घेरा था।सरकार के इस ढिल-मुल रवैया से लोगों में भी इसको लेकर आक्रोश व्याप्त हो गया था।जिसके बाद बुधवार को सागर में कर्जमाफी के कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐलान कर दिया कि एमपी में भी सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देगी।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता कभी भी लागू होने की संभावना को देखते हुए सरकार ने आरक्षण के क्रियान्वयन की प्रक्रिया तय करने के लिए सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह की अध्यक्षता में समिति बना दी है। समिति इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से चर्चा कर एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी। इस समिति में सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह अध्यक्ष और स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट, वित्त मंत्री तरुण भनोत व पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल को सदस्य बनाया है। सामान्य प्रशाासन विभाग के अपर मुख्य सचिव समिति के संयोजक होंगे। समिति सवर्ण आरक्षण से जुड़े सभी पक्षों से विचार-विमर्श करके अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कमलनाथ को सौंपेगी। हालाँकि लोकसभा चुनाव से पहले इसका लाभ मिलना शुरू होने पर संशय है|