भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर इस समय भाजपा एवं कांग्रेस एक-दूसरे पर नजर रखने का काम कर रही है। इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं, क्योंकि भाजपा भी अभी तक गुना से प्रत्याशी इस कारण नहीं उतार पाई है, क्योंकि कांग्रेस ने वहां से प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। वैसे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा से फाइनल प्रत्याशी माने जा रहे हैं, लेकिन अधिकृत घोषणा न होने से भाजपा भी अपना प्रत्याशी रोके हुए है। भाजपा की रणनीति है कि इस बार सिंधिया जहां से भी चुनाव लड़ें उनके खिलाफ बड़ा नेता चुनाव मैदान में होगा।
केंद्र में भाजपा इस बार सत्ता में आने के लिए हर तरह की रणनीति तैयार करने में लगी हुई है, क्योंकि भाजपा को पता है कि वर्ष 2014 जैसी मोदी लहर इस बार कहीं दिखाई नहीं दे रही है जिसके कारण उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्यप्रदेश की लोकसभा सीटें खासी अहम हो जाती है। वर्ष 2014 के दौरान भाजपा को यूपी में 80 में से 73 एवं मध्यप्रदेश में 29 में से 27 सीटें मिली थी और बाद में एक उप चुनाव में सीट खो दी थी। अब इस बार पुराने परिणाम को बनाएं रखना इतना आसान नहीं है इस बात को भाजपा भले ही सार्वजनिक रूप से न कहे, लेकिन अंदरखाने में यही चर्चा है। प्रदेश में कांग्रेस ने करीब 22 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन गुना-शिवपुरी के साथ ही अंचल की ग्वालियर एवं भिंड सीट अभी होल्ड पर हैं। अब गुना-शिवपुरी में सिंधिया एकमात्र उम्मीदवार हैं, ऐेसे में उनके नाम का ऐलान न करने के पीछे कांग्रेस की रणनीति काम कर रही है।
सूत्र का कहना है कि कांग्रेस इस बार इंदौर से सिंधिया को अजमा सकती है, क्योंकि भाजपा की सांसद एवं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ऩा चाहती। अब उनके पत्र की भाषा का अध्ययन किया जाए तो उन्होंने एक तरह से अपनी पीड़ा व्यक्त की है, क्योंकि भाजपा ने भी इंदौर से अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, जिसके कारण को सुमित्रा महाजन समझ गई और उन्होंने इन्हीं कारणों का हवाला देते हुए पत्र लिखकर पार्टी से कहा है कि मेरी वजह से प्रत्याशी घोषित करने में हो रहे अड़चन को वह समझ रही हैं इसलिए मैंने अब चुनाव न लडऩे का मन बना लिया है। अब यह तो भाजपा के अंदरखाने की बात है, लेकिन कांग्रेस का एक धड़ा सिंधिया को इंदौर से चुनाव लड़ाने के लिए प्रयासरत है।
ग्वालियर लोकसभा के लिए टिकट दावेदारों की बात करें तो कांग्रेस की तरफ से प्रबल दावेदारो में अशोक सिंह का नाम लिया जा रहा है। इसके साथ ही सिंधिया की तरफ से वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्ञानेंद्र शर्मा एवं ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन सिंह राठोर दावेदार हैं। अब गुना-शिवपुरी सीट होल्ड पर रखे जाने के पीछे के कारण पर राजनीतिक लोग कई तरह से देख रहे हैं। कुछ कांग्रेसियों का कहना है कि हो सकता है सिंधिया ग्वालियर से चुनाव लडें, लेकिन इसकी संभावना अभी तक नगण्य दिख रही है। वहीं एक धड़ा सिंधिया को इंदौर भेजने की बात कर रहा है अब आगे क्या होता है यह कुछ दिनों में ही साफ हो जाएगा, वैसे सिंधिया कहां से चुनाव लड़ेंगे यह उनकी सहमति पर आधारित है, क्योंकि सिंधिया अंचल के ही नहीं बल्कि प्रदेश के बड़े नेता तो हैं ही, साथ ही उनको इस बार उत्तर प्रदेश के एक हिस्से की जिम्मेदारी भी राहुल गांधी से सौंप रखी है, जिसके कारण उनकी इस बार जिम्मेदारियों काफी बढ़ गई र्हैं।