भोपाल| कोरोना संकट (Corona Crisis) के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टर (Doctor) और मेडिकल स्टाफ (Medical Staff) की सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं| शहर की गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) की एक नर्स ने अपनी पीड़ा जाहिर की है| नर्स का कहना है कि सरकार चाहती है कि मेडिकल स्टाफ अपने घर जाकर जोखिम उठाए, जो कि जारी COVID 19 के संबंध में सरकार द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों के अनुसार है|
नर्स ने कहा केंद्र सरकार ने एक दिशानिर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार, ‘जो लोग व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पहन रहे हैं, वे जोखिम में नहीं हैं और उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रहने की आवश्यकता नहीं है’। उन्होंने बताया कि हम कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई में मदद करने के लिए काम कर रहे थे, यह सोचकर कि यह हमारा कर्तव्य है लेकिन बदले में हमें क्या मिल रहा है? हमने कम गुणवत्ता वाले पीपीई या कम मास्क के बारे में शिकायत नहीं की, लेकिन अब सरकार चाहती है कि हम घर जाएं और अपने परिवारों को भी खतरे में डालें|
उन्होंने कहा अगर हम घर जाएंगे तो सीधे फैमिली के कांटेक्ट में आएंगे| घर पर कोई आइसोलेशन सेंटर की व्यवस्था तो हे नहीं | घर में हमारे छोटा बच्चा है, उसे छोड़कर मैं काम कर रही हुई, घर जाएंगे तो क्या उसको रिस्क नहीं रहेगा| उन्होंने बताया कि मेरे पति भी बाहर है और फार्मा कंपनी में काम करते हैं| हम दोनों इसी काम में लगे हैं| हर तरह से हमारा शोषण क्यों किया जा रहा है| उन्होंने बताया कि जब एक सैनिक बॉर्डर पर ड्यूटी करता है तो उसकी फैमिली घर में सुरक्षित रहती है| लेकिन यहां हम सभी को खतरे में डाला जा रहा है| इसके साथ ही नई गाइडलाइन जारी कर दी गई कि मेडिकल स्टाफ की सैंपलिंग नहीं होगी| जबकि सब जानते हैं कि जो लोग पीपीई किट पहनकर काम कर रहे हैं वो भी इन्फेक्टेड हुए हैं| ऐसा भी नहीं है कि हमें जो किट मिल रही है वो बेस्ट क्वालिटी की हो| सैंपलिंग नहीं की जायेगी तो पॉजिटिव नहीं आएंगे| नर्स ने कहा देश के लिए हम जो कर सकते हैं हम करेंगे, न हमें थाली चाहिए, न फूल चाहिए, सिर्फ हमें इक्विपमेंट दो, हम सुरक्षित रहकर काम कर सकेंगे| हम दूसरों की जिंदगी बचा रहे हैं और हमारी जिंदगी की कोई सुरक्षा नहीं है|