भोपाल। भोपाल की सियासत जहां हर पल कुछ नया खेल दिखा रही है वहीं प्रदेश का कांग्रेसी खेमा सरकार बचाने की कवायद में लगा हुआ है। राज्यपाल लालजी टंडन के फ्लोर टेस्ट करवाने के आदेश के बावजूद कमलनाथ सरकार शक्ति परीक्षण के लिए तैयार नहीं हो रही है। कमलनाथ सरकार यह चाहती है कि बीजेपी विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए जिससे कमलनाथ के लिए सदन में बहुमत साबित करने में आसानी हो।
बता दे कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार के 16 विधायकों ने सरकार से इस्तीफा देकर बेंगलुरु में डेरा जमाया है। वह सरकार की नीतियों से खफा है और उपचुनाव चाहते हैं। कमलनाथ सरकार किसी भी तरह इन विधायकों को अपने खेमे में वापस लाना चाहती हैं क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष ने छह विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार कर लिये हैं, और 16 विधायकों के इस्तीफे को नामंजूर कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष प्रजापति का कहना है कि विधायक विधानसभा के समक्ष उपस्थित होकर अपना इस्तीफा दे। ताकि यह स्पष्ट हो जाए की उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है। इसी सिलसिले में विधानसभा अध्यक्ष प्रजापति ने शुक्रवार को छह विधायकों, शनिवार को 7 विधायकों को और बाकी के बचे 9 विधायकों को रविवार को पत्र लिखकर बुलावा भेजा था किंतु इनमें से कोई भी विधायक विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत नहीं हो सका। जिसके बाद मंगलवार को बेंगलुरु बैठे विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस्तीफा स्वीकार करने की बात कही थी। विधायकों ने कहा था कि वह सभी उप चुनाव के लिए तैयार है। वही विधायकों ने कमलनाथ सरकार से अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी। जहां उन्होंने कहा था कि कमलनाथ सरकार में सिंधिया समर्थक होने की वजह से उनके मामलों की सुनवाई नहीं होती है। जिस वजह से वह सरकार से खफा है और इस्तीफा दे रहे हैं।