Madhya Pradesh Excise Department : मध्य प्रदेश के आबकारी विभाग में दो विवादित अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज कर दी है, इनमें एक मध्य प्रदेश के बहुचर्चित चालान घोटाले के सरगना माने जाते हैं और दूसरे के ऊपर खुद के खाते में शासन के करोड़ों रुपए जमा करने का आरोप है। विभाग के आला अधिकारी इन दोनों मामलों में सरकार की ओर से कड़ी कार्रवाई करने के मूड में है।
इंदौर का बहुचर्चित चालान घोटाला
मध्य प्रदेश में इंदौर का बहुचर्चित चालान घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। 2017 में हुए इस घोटाले के सामने आने के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कड़ी कार्रवाई करते हुए शराब ठेकों के 41.40 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले में आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त संजीवकुमार दुबे सहित छह अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया था। उपायुक्त विनोद रघुवंशी का ट्रांसफर कर दिया गया था। सस्पेंड हुए अधिकारियों में लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता भी शामिल था। साथ ही इंदौर में 3 साल से अधिक समय से जमे 20 अधिकारियों और बाबुओं का ट्रांसफर कर दिया गया था। इनमें उपायुक्त के अलावा 7 जिला आबकारी अधिकारी, 11 आबकारी उप निरीक्षक और एक लिपिक शामिल था।
आबकारी विभाग ने कसी कमर
अभी तक इस घोटाले के आरोपियों पर कार्रवाई कछुआ गति से चल रही है लेकिन घोटाले के ही सरगना रहे एक अधिकारी विभाग की जांच को उच्च न्यायालय में चुनौती दे रहे हैं। इसके खिलाफ आबकारी विभाग ने कमर कस ली है और इस पूरे मामले में विभाग की ओर से अपना पक्ष प्रस्तुत करने की पूरी तैयारी है। गौरतलब है कि इस अधिकारी की इंदौर में पदस्थापना के दौरान हुए बहुचर्चित 42 करोड़ के चालान घोटाला जो अब बढ़कर 71 करोड़ रुपये का हो गया है इस प्रकरण में उच्च न्यायालय जबलपुर में 22 सितंबर को सुनवाई है। विभाग की प्रमुख अधिकारी इस प्रकरण को स्वयं ही देख रही हैं हालांकि इस मामले में इस अधिकारी के सहयोगी रहे और कोर्ट से जमानत पर आये एक शराब ठेकेदार का भी योगदान है। वही लोकायुक्त ने भी इस मामलों में तेज़ी से जाँच चालू कर दिया है और इस अफ़सर के पदस्थापना वाले ज़िलों से जानकारी तत्काल माँगी जा रही है। वही दाऊद गैंग के जयसिंघानी के साथ बातचीत के ऑडियो की जाँच भी हो रही है। जयपुर स्थित इस अफ़सर के रिसोर्ट को भी केंद्रीय एजेंसी ने राडार पर ले लिया है।
एक और अफसर की कारगुजारियाँ
वही छिंदवाड़ा में पदस्थ रहे और अपनी कार्यशैली को लेकर हमेशा विवादों में रहे एक अन्य सहायक आबकारी आयुक्त के खिलाफ भी विभाग जल्द एक नई जांच शुरू करने वाला है। इन पर आरोप है कि छिंदवाड़ा में पदस्थ रहते समय इन्होंने शासन की करोड़ों रुपए की राशि अपने खाते में जमा कर ली और करोड़ों रुपए की शराब का ट्रक भी छोड़ दिया। विभागीय सूत्रों की माने तो सितंबर के महीने में इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभाग सख्त कार्रवाई करने के मूड में है।
विवादित सहायक आयुक्त
यह विवादित सहायक आयुक्त दो साल से घर पर बैठे हैं हालांकि इनके विरुद्ध 4-4 विभागीय जाँच कछुआ चाल से चल रही है और EOW में एक प्रकरण भी दर्ज है इन्होंने प्रमुख सचिव और आबकारी आयुक्त के विरुद्ध अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायालय में लगाया है।जिसकी सुनवाई 9 अक्तूबर नियत है।इस अधिकारी ने भी एड़ी चोटी का जोर लगाया है, कि वह इन मामलों से बरी हो जाए लेकिन वही इस अफ़सर के विरुद्ध EOW में दर्ज प्रकरण में जल्द अभियोजन की स्वीकृति मिल सकती है । छिन्दवाड़ा पदस्थापना के समय स्वय के खाते में शासन का करोड़ों रुपये जमा करने की फ़ाईल फिर से खुल सकती है। छिन्दवाड़ा में भी आदिवासी की जमीन रखकर ग़लत तरीक़े से शराब के ट्रक छोड़ने के मामले में भी अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के अन्तर्गत मामला इस अफ़सर के विरुद्ध दर्ज हो सकता है। बहरहाल दोनों विवादित और भ्रष्ट अफ़सरों के प्रकरणों की मुख्य सचिव स्तर से समीक्षा हो रही है।