मालवा में कांग्रेस के लिए मुश्किल है राह, कर्जमाफी से खुश नहीं किसान!

Published on -

भोपाल। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण और प्रदेश में चौथे चरण के लिए आठ सीटों पर मतदान होना है। इनमें मालवा और निमाड़ की सीटें शामिल हैं। जिन पर 19 मई को वोटिंग होगी। इन आठ में से सिर्फ रतलाम लोकसभा सीट पर कांग्रेस को उप चुनाव में जीत मिली थी। हालांकि, इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। लेकिन मालवा में इस बार कर्जमाफी के दम पर प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब हुई कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं दिख रही है। 

दरअसल, मालवा क्षेत्र में किसान कर्जमाफी को लेकर किसानों में खास खुशी का माहौल नहीं है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि किसानों का कहना है उन्हेंं किसान कर्ज माफी से कहीं अधिक उनकी फसल का बढ़ा हुआ दाम चाहिए। वहीं, फसल खरीदी में होने वाली दलाली से भी मुक्ति एक बड़ा मुद्दा पूर्व और वर्तमान सरकार के सामने चुनौती बनकर खड़ा है। सरकार चाहे जितने दावे करे मंडी में फसल के सही दाम किसानों को देने के लिए लेकिन अफसरों और बिचौलियों की मिलीभगत के कारण ऐसा होना संभव नहीं हो पाता। जिस वजह से किसान छिटक कर अपना रूख अन्य दल की ओर करते हैं। इंदौर से लगे कजलाना गांव के भागीरथ मुकाती और मदन पटेल कहते हैं- हमें दो-दो लाख की कर्जमाफी नहीं चाहिए, फसल की खरीद बढ़े और उसका पूरा दाम मिल जाए। फसल का पूरा दाम ही दे दे तो लाखों कमा सकते हैं। कांग्रेस ने अब किसानों का भरोसा नहीं जीता तो उसे बड़ा झटका लग सकता है। 

MP

कमलनाथ सरकार ने किसानों के कर्जमाफी की फाइल पर साइन कर दस दिन में कर्जमाफी का वादा किया था। लेकिन फंड की कमी से जूझ रही सरकार का दावा है कि उसने 22 लाख किसानों का कर्जमाफी किया है। लेकिन यह तस्वीर साफ नहीं दिखाई पड़ रही है। किसानों में कांग्रेस के लिए भरोसा टूटता दिख रहा है। समर्थन मूल्य भी मुद्दा है। फसल की पूरी कीमत देने में दोनों ही दल नाकाम रहे हैं। पीने के पानी के संकट और बिजली कटौती की चर्चा है। राष्ट्रवाद के साथ सपाक्स भी नजर आ रहा है। वहीं, मालवा-निमाड़ में संघ-भाजपा की जमीन मजबूत है। गुजरात व राजस्थान की पड़ोसी सीटें होने के कारण भाजपा के बड़े नेताओं ने यहां डेरा डाल दिया है। खरगोन, रतलाम व धार में पाटीदार फैक्टर भी है।


About Author

Mp Breaking News

Other Latest News