मप्र में किसानों का आंदोलन शुरू, सड़कों पर फेंकी सब्जी और बहाया दूध

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भोपाल। भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आज से तीन दिवसीय आंदोलन शुरू कर दिया है। किसान सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है।राजधानी  भोपाल के मिसरोद इलाके में जहां किसानों ने सड़क पर दूध से नहाकर और सब्जियां सड़क पर फेंक अपना विरोध जताया, वही  देवास, धार, उज्जैन और राजगढ़ जिलों में इसका खासा असर देखा गया।वही सुबह से कई जिलों में दूध और सब्जियों की सप्लाई नही हो पाई। ही ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में कोई असर दिखाई नही दिया ।राज्य में किसान संगठनों ने सब्जी और दूध की सप्लाई रोक दी है, जिसके चलते आने वाले दो दिन में भी सब्जी, फल और दूध की किल्लत होने की संभावना जताई जा रही है।

 हड़ताल कर रहे यूनियन के अध्यक्ष अनिल यादव ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि पूरे प्रदेश के किसान सड़कों पर उतर आए हैं। जबतक उनकी मांगे पूरी नही हो जाती तबतक उनका आंदोलन तीन दिन जारी रहेगा। पूरे मालवा-निमाड़ क्षेत्र में भी हड़ताल शुरू हो गई है। किसान अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। यादव ने कहा कि  प्रदेश सरकार ने जब किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की तो किसानों को बैंकों ने डिफॉल्ट घोषित कर दिया, जिसके बाद अब किसानों को बैंकों से लोन नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते किसान खाद और बीज नहीं खरीद पा रहा है।इसलिए वो सरकार से मांग कर रहे हैं कि वो समितियों को निर्देश दें कि किसानों को खाद उपलब्ध हो। किसानों को आज भी उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसान कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं।

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      इधर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किसान राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार कक्काजी को सौ किसानों के साथ बातचीत के लिए बुलाया है।इस दौरान किसानों ने कमलनाथ के सामने अपनी मांगे रखी है।खबर है कि सीएम कमलनाथ किसानों को लेकर कई बड़े फैसले ले सकते है।  वही हड़ताल को देखते हुए पुलिस और प्रशासन अलर्ट पर है।इसके साथ सरकार किसान संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। आमजन की जरूरतों से जुड़ी वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए कलेक्टरों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया। 

कृषि मंत्री से वार्ता रही विफल, सड़कों पर उतरे किसान

इससे पहले मंगलवार को किसान नेताओं ने इन मांगों को लेकर कृषि मंत्री सचिन यादव के साथ बैठक की थी, लेकिन इस बैठक में कोई समाधान नहीं निकल पाया। बातचीत विफल होने के बाद बुधवार को किसानों ने अपना आंदोलन शुरू कर दिया। किसानों का ये आंदोलन दो चरणों में होगा।पहले भारतीय किसान यूनियन 29 से 31 मई और इसके बाद भारतीय किसान संघ एक से 5 जून तक हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान किसानों ने अपनी उपज को मंडियों तक पहुंचाने से साफ इनकार कर दिया है। इस दौरान दूध और सब्जी की सप्लाई भी नहीं होगी।ऐसे में इस आंदोलन के चलते दूध और सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित होने के आसार हैं।

यह है किसानों की मांग

-स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाए।

-कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए।

-मंडी में उपज समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बिकने पर रोक लगे।

-सरकार की तरफ से किसान कर्ज माफी स्पष्ट हो।

-2 लाख तक कर्ज माफी में सभी किसानों को समानता से राशि दी जाए।

-फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए।

-मंडी में बेची गई उपज का दाम नकदी में हो।


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