वनकर्मियों पर कार्यवाही से गुस्से में वनकर्मचारी, होशंगाबाद वन कर्मचारी संघ संरक्षक चतुर्वेदी के सरकार से सीधे सवाल!

भोपाल। कल विदिशा के दक्षिण लटेरी में वन की निर्मम कटाई करने वाले अपराधियों को रोकने पर वन अमले पर प्राणघातक हमला किया गया। जिसके बाद बचाव में अपने और साथी कर्मचारियों के प्राणों की रक्षा के लिए उप वनक्षेत्रपाल विनोद ने बिना कुछ देखें अपनी शासकीय बंदूको से हमलावरों को रोकने के लिए उन पर जवाबी कार्रवाई की। मधुकर चतुर्वेदी का कहना है कि यदि विनोद ऐसा न करते तो निश्चित ही कोई न कोई वन कर्मचारी या तो शहीद हो जाता या जीवनभर के लिए अपाहिज हो जाता, लेकिन अपने साथियों को विकलांग व मरने से बचाने वाले टीम लीडर रेंजर विनोद को शासन ने न केवल निलंबित किया। बल्कि वहां पदस्थ DFO राजवीर सिंह को भी तत्काल प्रभाव से भोपाल तबदला कर दिया। चतुर्वेदी का कहना है कि यह हमलावरों को राजनीतिक रेवड़ी बांटने वाली कार्रवाई है और इसके बाद उन्होंने सरकार से कुछ सवाल किये है।

पहला सवाल: Responsibilty Without Authority कैसे संभव है?
मधुकर चतुर्वेदी का कहना है कि यह कार्रवाई निश्चित ही प्रकृति के रक्षकों के मनोबल को गिराने वाली कार्रवाई है, एक तरफ जहाँ मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पौधरोपण न केवल करते है, बल्कि दूसरों को पौधरोपण करने के लिए प्रेरित भी करते है, और मध्यप्रदेश सरकार पौधरोपण पर अभी तक लाखों-करोडो रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन जब उन्हीं वृक्षों की सुरक्षा करने वालों पर इस प्रकार की दण्डित कार्रवाई की जाएगी तो Responsibilty Without Authority कैसे संभव है। साथ ही उन्होंने वोट बैंक की राजनीति के खातिर इस प्रकार कर्मचारियों के परिवारों को कोर्ट-कचहरी में लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर करने पर भी प्रशासन पर सवाल उठाए है।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”