पूर्व IFS का मुख्य सचिव को पत्र, मिशन घोटाले में पूर्व CS सहित दो IAS और भारतीय वन सेवा अधिकारी पर कार्रवाई की मांग

BHOPAL NEWS : म.प्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में वर्ष 2017 में की गई नियुक्तियों के सबंध में एक शिकायत ई.ओ. डब्ल्यू में की गई है, आरोप है कि इन नियुक्तियों में अफसरो ने न केवल शासन के नियमों की अनदेखी की अपितु विभागीय मंत्री के आदेशो को भी नही माना। अब इस मामलें की शिकायत पूर्व आईएफ़एस अधिकारी आजाद सिंह डबास ने मुख्य सचिव अनुराग जैन से की है और जल्द कार्रवाई की मांग की है।

पूर्व IFS का मुख्य सचिव को पत्र, मिशन घोटाले में पूर्व CS सहित दो IAS और भारतीय वन सेवा अधिकारी पर कार्रवाई की मांग

यह है शिकायत 

शिकायत में बताया गया कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, म.प्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ललित मोहन बेलवाल द्वारा आजीविका मिशन के तहत 15 नये जिलो में मिशनकर्मियों की नियुक्ति करने के सबंध में दिनांक 08.03.2017 को प्रशासकीय स्वीकृति हेतु फाइल तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इकबाल सिंह बैंस को भेजी गई। इसमें रिक्त पदो पर भर्ती के लिये विज्ञापन जारी करने की बात कही गई। एक अन्य विभागीय अधिकारी ने चयन प्रकिया में 5 सदस्यीय समीति बनाने हेतु टीप लिखी जिसे इकबाल सिंह बैंस ने नकार दिया। इस फाइल को विभागीय मंत्री के पास नहीं भेजा गया। मंत्री द्वारा भर्ती प्रक्रिया को प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड से करवाने को कहा गया पर इसे भी नही माना गया।

आईएएस अधिकारी ने भी जांच में पाया हुई गड़बड़ी 

गौरतलब है कि ई.ओ.डब्ल्यू में हुई शिकायत के पूर्व विभागीय तौर पर इन नियुक्तियों में की गई धाधंली की जांच नेहा नेहा मारव्या आई.ए.एस अधिकारी ने की थी। उन्होनें 08.06.2022 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी जिसमें नियुक्तियों में गड़बड़ी को स्वीकारा गया। इसके बावजूद प्रकरण दर्ज नहीं कराया गया। 2 वरिष्ठ आई.ए.एस अशोक शाह एंव मनोज श्रीवास्तव ने इस मामले में कार्रवाई नही की और ललित मोहन बेलवाल से इस्तीफा दिलाकर मामला दबाने की कोशिश की गई।

यह था मामला 

यह भी गौरतलब है कि वर्ष 2017-18 में आजीविका मिशन में मिशनकर्मियों की नियम विरूद्ध नियुक्ति और इसमें किये गये भष्टाचार को लेकर ई.ओ.डब्ल्यू में 12 फरवरी 2024 को शिकायत की गई। शिकायत में कार्रवाई नही होने पर शिकायतकर्ता आर. के मिश्रा ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया। इस पर न्यायालय द्वारा ई.ओ.डब्ल्यू. से 28 मार्च 2024 तक प्रकरण में की गई जांच और कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट चाही गई।

EOW की जांच में खुलासा 

ई.ओ.डब्ल्यू. ने माना कि ग्रामीण एवं पचांयत विकास विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अशोक शाह, बाद में ग्रामीण एवं पंचायत विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव और आजीविका मिशन के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ शिकायत मिली है, जिसका परीक्षण कराया गया हैं।

परीक्षण में हुआ साफ 

परीक्षण में पता चला है कि शिकायतकर्ता के द्वारा की गई शिकायत के अनुसार अफसरों द्वारा किये गये विवादित कार्य या आदेश शासकीय पद पर रहते हुए जारी किये हैं। ऐसे में इनके खिलाफ जांच के लिये सामान्य प्रशासन विभाग की अनुमति जरूरी है। ई. ओ.डब्ल्यू. की ओर से इस हेतु प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखा गया है। आवश्यक अनुमति मिलने के बाद जांच की जावेगी।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया

यहां यह भी गौरतलब है कि भष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के सेक्शन 17 में जुलाई 2018 में सेक्शन 17 ए जोडा गया है। सेक्शन 17 ए के सबंध में वर्ष 2018 2019 में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया जो जांच की अनुमति लेने बाबत् है लेकिन यह सर्कुलर पूर्णतः भ्रामक है। इस भ्रामक सर्कुलर की आड लेकर जांच ऐजसी अपनी सुविधा अनुसार भष्टाचार के मामलो को अनावश्यक भटका रही हैं। उपरोक्त भष्टाचार के गंभीर प्रकरण में ई.ओ.डब्ल्यू द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग से चाही गई अनुमति इसी श्रेणी में आती है। आपसे अनुरोध है कि कृपया इस प्रकरण में ई.ओ.डब्ल्यू द्वारा जांच हेतु चाही गई अनुमति तत्काल जारी कराने का कष्ट करें ताकि भष्टाचार के इस मामले में समस्त दोषियों के विरूद्ध आवश्यक दण्डात्मक कार्रवाई हो सके और भविष्य में भष्टाचार के मामलों में रोक लग सके। साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा वर्ष 2018 / 2019 में जारी किये गये सर्कुलर से जो भ्रामक स्थिति पैदा हो गई है, उसे तत्काल दूर किया जाना चाहिए। इस हेतु तत्काल आवश्यक निर्देश जारी करने का कष्ट करें ताकि भष्टाचार के जांच के मामलो मे अविलंब जांच हो सकें।

 


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Sushma Bhardwaj

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