भोपाल।
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के 75 पार वाले नेताओं को टिकट देने के फैसले के बाद नेताओं में चुनाव को लेकर फिर उम्मीद जाग गई है। पार्टी के इस फैसले के बाद 75 साल की उम्र से ऊपर के नेता भी फिर अपनी किस्मत आजमा सकेंगे, नेताओं के चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं रहेगी, हालांकि उन्हें पार्टी की तरफ से कोई जिम्मेदारी नही मिलेगी। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश में देखने को मिल रहा है। सरकार के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने फिर लोकसभा चुनाव में ताल ठोकी है। गौर ने कहा कि पार्टी ने मेरे कारण ही ये फैसला लिया है, वे मजबूरी से अपनी दावेदारी पेश करेंगें। गौर के इस बयान के बाद पार्टी में फिर हलचल मच गई है।
आज मीडिया से चर्चा के दौरान गौर ने कहा कि उम्र में क्या रखा है दिल जवान होना चाहिए। कोई बात तो है ऐसी की दुनिया हमें सलाम करती है। मेरे कारण ही पार्टी ने ये फैसला लिया है। उम्र से किसी के फिटनेस, योग्यता और सक्षमता को नहीं परखा जा सकता है। आजकल तो लोग पैदा ही बूढ़े होते हैं। गौर यही नही रुके उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव में मजबूती से अपनी दावेदारी पेश करेंगे। खुद प्रधानमंत्री बोल कर गए है एक बार और बाबूलाल गौर…।बताते चले कि बीते साल सितंबर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन के मौके पर बीजेपी ने भोपाल में एक बड़ा आयोजन किया था। इसमें प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता मौजूद थे। इस जनसभा के दौरान पीएम मोदी ने बाबूलाल गौर का हाथ थाम कर कहा था कि ‘बाबूलाल गौर एक बार और..’। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद गौर को एक उम्मीद जगी थी कि शायद इस बार भी विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिल जाए लेकिन पार्टी ने उम्र का हवाला देक उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, हालांकि बहू कृष्णा गौर को टिकट दे दिया। इसके अलावा स्टार प्रचारकों की लिस्ट में गौर को शामिल किया गया था।
दरअसल, शिवराज सरकार में 75 के फॉर्मूले का हवाला देकर गौर को पद से हटा दिया था, जिसके बाद से ही वे पार्टी से नाराज चल रहे थे और अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने में लगे हुए थे। विधानसभा चुनाव के दौरान भी वे टिकट के लिए बगावत पर उतर आए थे और आखिर पार्टी को मजबूर होकर उनी बहू को टिकट देना पड़ा था। चुनाव के बाद ये मामला शांत हुआ ही था कि गौर का कांग्रेस नेताओं से संपर्क बढ़ गया था। आए दिन कांग्रेस नेता गौर के घर पहुंचे और आर्शीवाद लेने पहुंच रहे थे, इसी बीच गौर ने कांग्रेस से ऑफर मिलने का बम फोड़ दिया और राजनैतिक गलियाओं में हलचल पैदा कर दी। इस दौरान गौर बयानबाजी भी करते रहे , बात हाईकमान तक पहुंची और उन्हें समझाइश दी गई। लेकिन गौर कहां किसी की मनाने वाले थे। उन्होंने फिर लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कही और पार्टी पर फिर हमला बोला। ऐसे में अब मोदी सरकार के इस फैसले ने गौर को फिर मजबूती दे दी है और वे लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करने की बात कर रहे है।
गौर का राजनैतिक सफर
बाल काल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे बाबूलाल गौर राष्ट्रीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्यों में से रहे हैं। 1956 में जन संघ के सचिव रहे गौर आपातकाल के दौरान भी काफी सक्रिय रहे। इस दौरान उन्हें 19 महीने हिरासत में भी रखा गया था। 1974 में भोपाल दक्षिण सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले गौर 1977 से लगातार गोविंदपुरा सीट से विधायक हैं। इस सीट से गौर ने 2013 तक लगातार 7 बार चुनाव जीता था। वे पहली बार निर्दलीय के तौर पर जीतकर मध्य प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे और अगर अब पार्टी उन्हें मौका देती है तो वे 88 की उम्र में पहली बार सांसद बनेंगें।
क्या है बीजेपी का फैसला
लोकसभा चुनाव की तैयारी को अंतिम रूप दे रही भाजपा 75 वर्ष पूरे कर चुके नेताओं के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह से रोक नहीं लगायेगी और जो चुनाव जीत सकते हैं, उन्हें टिकट दिया जा सकता है। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में शुक्रवार को लोकसभा चुनाव की तैयारियों और पार्टी के प्रचार अभियान पर चर्चा हुई। भाजपा में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, बी सी खंडूरी, शांता कुमार, करिया मुंडा जैसे नेता 75 वर्ष की आयु को पार कर चुके हैं। ऐसे में सवाल उठाये जा रहे थे कि क्या इन नेताओं को 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का टिकट दिया जायेगा। सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने यह तय किया है कि 75 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नेताओं के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह से रोक नहीं लगायी जायेगी… जो चुनाव जीत सकते हैं, उन्हें टिकट दिया जायेगा।