भोपाल| नियमितीकरण की मांग को लेकर भोपाल में आंदोलन कर रहे अतिथि विद्वानों को राहत देने की कोशिश में जुटी हुई और यह भरोसा दिला रही है कि उन्हें बाहर नहीं निकाला जाएगा| विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी, PWD मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 30 दिसंबर तक सभी अतिथि विद्वानों को कॉलेज में नियुक्ति मिलेगी| साथ ही मंत्रियों ने अतिथि विद्वानों से आंदोलन खत्म करने की भी अपील की है और कहा है कि डॉक्यूमेंट अपडेशन और चॉइस फिलिंग करें| इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने ऐलान किया कि अब अतिथि विद्वान के पद से अतिथि शब्द हटाया जाएगा| वहीं दूसरी और नियमतिकरण की मांग पर अतिथि विद्वान अड़े हुए हैं, जो कि वचन पत्र में वादा किया गया था, इसको लेकर अतिथि विद्वान धरने पर बैठे हुए हैं|
उन्होंने कहा कि अपने वचनों पर प्रतिबद्ध कमलनाथ सरकार का मूल मंत्र अतिथि देवो भवः है। इसलिए अब अतिथि विद्वान मेजबान होंगे। वहीं मंत्री पटवारी ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार पर भी निशाना साधा, उन्होंने कहा कि अतिथि विद्वानों को बीजेपी ने प्रताड़ित किया, 15 साल में अतिथि विद्वानों को नियमित नहीं किया गया| हमने नियमित करने की प्रक्रिया के लिए नीति बनानी शुरू कर दी है, तब तक किसी भी अतिथि विद्वान को हटाया नहीं जाएगा, उन्होंने कहा कि लगातार नियुक्ति मिलेगी| उन्होंने कहा अतिथि विद्वानों के लिए अस्थायी व्यवस्था रही तथा यूजीसी भी इस प्रकार की व्यवस्था लंबे समय तक रखने के पक्ष में नहीं है। यह विद्यार्थियों के हित में है कि कालेजों में नियमित शिक्षक पदस्थ हों। इसलिए हमने लोक सेवा आयोग से चयनित 3148 अभ्यर्थियों को पदस्थ करने का निर्णय लिया है। इनमें से लगभग 800 अतिथि विद्वान भी हैं।
मंत्री पटवारी ने कहा एक भी अतिथि विद्वान को बाहर नहीं निकाला जाएगा, इसके लिए हमने एक नीति जारी कर दी है। नवीन नियुक्तियों के कारण बाहर जा रहे अतिथि विद्वानों को फिर से काम पर रखने के लिए च्वाईस फिलिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। 1 जनवरी, 2020 से वे च्वाईस फिलिंग भी कर सकेंगे। उन्होंने कहा पिछली सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण लगभग 4900 अतिथि विद्वानों के भविष्य को अंधकार में रखा गया और उनके नियमितिकरण की कोई प्रक्रिया नहीं की। इन्हें आगामी 3 वर्षों की परीक्षा में 20 अंकों का अधिभार तथा आयु-सीमा से छूट देने का निर्णय लिया गया है। इससे सभी पात्र लगभग 2000 अतिथि विद्वानों को लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित होने में सहायता मिलेगी।