भोपाल।
प्रदेश में लॉक डाउन को एक महिना हो चुका है, बावजूद इसके कोरोना पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। सरकार की लाख कोशिश के बावजूद प्रदेश में आए दिन मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वर्तमान में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1700 के करीब पहुंच चुकी है और 84 की मौत हो चुकी है। लॉक डाउन फेज टू की भी सीमा अवधि भी 3 मई को समाप्त होने वाली है ऐसे में सरकार भीलवाड़ा मॉडल ना अपना केरल मॉडल अपनाने की तैयारी में है।वही भोपाल, इंदौर, उज्जैन जैसे जिलों में जहां कोरोना मरीजों की संख्या ज्यादा है वहां लॉक डाउन की सीमा बढ़ाई जा सकती है। हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज ने इस ओर संकेत भी दिए थे। हालांकि ग्रीन जोन वाले जिलों को रियायत दी जा सकती है।
खबर है कि कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए अब मध्यप्रदेश सरकार केरल मॉडल अपनाएगी। राज्य सरकार इसे लेकर आज केरल के डॉक्टरों और विशेषज्ञों से चर्चा करेगी। वहीं जो तरीक वहां अपनाया गया है उसी का प्रयोग प्रदेश में भी किया जाएगा।वहीं राज्य सरकार ने 1 करोड़ घरों में आयुर्वेद काढ़ा पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रदेश के 5 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज में आयुर्वेद काढ़ा तैयार करवाया जा रहा है।इसके लिए शिवराज भी संकेत दे चुके है।सरकार को उम्मीद है कि इस मॉडल पर चलकर कोरोना पर नियंत्रित पाया जा सकेगा। गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी दावा किया था कि 3 मई तक कोरोना पर पूरा नियंत्रण पा लिया जाएगा।खैर अब देखना है कि सरकार इसमे कितना कामयाब होती है।
इससे पहले भीलवाड़ा मॉडल लागू करने की भी चर्चा थी। सरकार के आला अधिकारियों ने राजस्थान सरकार से बात भी की थी। लेकिन, भीलवाड़ा मॉडल लागू नहीं हो सका। अब एक बार फिर संक्रमण को रोकने के लिए केरल मॉडल की बात कही जा रही है।
बढ़ सकता है लॉक डाउन
प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गुरूवार को इस बात के संकेत दिए थे कि 3 मई के बाद भोपाल, इंदौर, उज्जैन और खरगोन जिले में लॉकडाउन बढ़ाया जा सकता है। हालांकि इस पर फैसला 30 अप्रैल के बाद किया जाएगा। ये चारों प्रदेश के कोरोना से सबसे ज़्यादा संक्रमित ज़िले हैं।स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि इंदौर अभी सबसे ज्यादा संवेदनशील जिला है और वहां पर कोरोना संक्रमित की संख्या में एक जंप अभी और आ सकता है, यानी इंदौर में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा और बढ़ने की आशंका है।
क्या है केरल मॉडल
दरअसल, बीते दिनों केरल के कासरगोड में कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे। कासरगोड में 31 मार्च तक कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 106 हो गई थी। 6 अप्रैल को संक्रमित लोगों की संख्या 164 थी। इसके बाद 10 दिनों में केवल 14 मामले सामने आए। संक्रमण रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के लॉकडाउन की तर्ज पर बंद के लिए कुछ कदम उठाए गए।जिसके तहत सभी संक्रमित मामले, घर पर क्वारैंटाइन में भेजे गए लोग, दूसरे देशों से आए सभी लोगों और संक्रमित लोगों के सीधे या परोक्ष रूप से संपर्क में आए लोगों का स्थानीय तौर पर आंकड़ा तैयार किया गया। विदेश से आए जिन लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई, उन लोगों ने अपने किन रिश्तेदारों, दोस्तों से मुलाकात की, इसकी भी सूची बनाई गई।इतना ही नही इसके तहत सरकार द्वारा घरों के बाहर पुलिस का सख्त पहरा लगाया गया। प्रभावित लोगों के 10-12 घरों तक के लिए पुलिस को गश्त पर तैनात किया। इसके अलावा, उनके संपर्क में आए लोगों की निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। अब केरल में कोरोना कंट्रोल में है।