भोपाल।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए विशेषज्ञों की सीधी भर्ती करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि बेहतर स्वास्थ्य लोगों का अधिकार हो, इसके लिए ‘राइट टू हेल्थ’ की दिशा में विचार किया जाये। मध्य प्रदेश सरकार के इस अजीबोगरीब फैसले से सरकारी डॉक्टर नाराज हो गए है और उन्होंने इसका विरोध शुरु कर दिया है।डॉक्टरों का कहना है कि सरकार को पहले पोस्ट ग्रेजुएट कर चुके डॉक्टरों की भर्ती करनी चाहिए उसके बाद इस फैसले पर विचार करना चाहिए।वही उन्होंने समय सीमा बढ़ाने पर भी पुर्नविचार की बात कही है।
मध्य प्रदेश मेडिकल ऑफीसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र गोस्वामी का कहना है कि प्रदेश में 700 के करीब पोस्ट ग्रैजुएट डॉक्टर पहले से ही अपने प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि वे अभी तक स्पेशलिस्ट नही बन पाए है। यदि सीधी स्पेशलिस्टो की भर्ती होगी तो पहले से कार्यरत डॉ उनसे जूनियर हो जाएंगे। इसी बात को लेकर सरकारी डॉक्टर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को पहले पोस्ट ग्रेजुएट कर चुके 700 डॉक्टरों को विशेषज्ञों के पदों पर पदोन्नत किया जाना चाहिए, ताकी उनकी योग्यता का लाभ मरीजों को मिल सके।साथ ही ऐसे डॉक्टरों को आने वाले भविष्य मे करियर सुरक्षित हो सके।वही डॉक्टरों का समय बढ़ाए जाने पर गोस्वामी ने कहा कि सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।
गौरतलब है कि हार के बाद मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों को ‘राइट टु हेल्थ’ (स्वास्थ्य का अधिकार) पर विचार करना शुरू कर दिया है।। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गुरुवार को लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए विशेषज्ञों की सीधी भर्ती करने के निर्देश दिए और कहा कि बेहतर स्वास्थ्य लोगों का अधिकार हो, इसके लिए ‘राइट टु हेल्थ’ की दिशा में विचार करें।उन्होंने कहा था कि मरीजों की विशेषकर, ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मरीजों की सुविधा को देखते हुए सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के उपलब्ध रहने का समय पूर्वान्ह 9 से अपरान्ह 4 बजे तक निर्धारित किया जाना चाहिए।