बड़े तालाब की मिट्टी से हरा-भरा होगा भोपाल, गहरीकरण के लिए की अपील

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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले सालों में शहर की हरियाली कम हुई है। पुराने दरख्तों को विकासकार्यों के नाम पर काट दिया गया है। जिसका नतीजा शहर में लगातार बढ़ता तापमान और पानी की भारी किल्लत। शहर की लाइफ लाइन कहनाले वाला बड़ा तालाब का दायरा भी कम होता जा रहा है। इस साल पड़ी भीषण गर्मी ने प्रशासन के भी पसीने निकाल दिए। इन समस्या को बढ़ता देख भोपाल संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने “हरा भोपाल – शीतल भोपाल” की मुहिम शुरू की है। जिसके तहत शहर भर में पेड़ लगाए जाने हैं, वहीं बड़े तालाब का गहरीकरण किया जाएगा।

तालाब गहरीकरण में निकली मिट्टी का उपयोग पौधरोपण के लिए किया जाएगा। सांभागायुक्त ने पहल करते हुए बैरागढ़ के पास तालाब के गहरीकरण के लिए शहरवासियों से अपील की है। गुरुवार सुबह 9.30 बजे से इस काम को अंजाम दिया जाएगा। शहरवासियों से अपील की गई है वह ज्यादा से ज्यादा तादाद में जमा होकर भोपाल के तालाब को बचाने और घटती हरियाली के लिए एक कदम आगे आएं और पौधरोपण में हिस्सा लें। 

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गौरतलब है कि भीषण गर्मी और लगातार बढ़ते प्रदूषण का कारण शहर की हरियाली कम हुई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक  साल 2025 तक भोपाल शहर की हरियाली तीन फीसदी रह जाएगी। अभी यह नौ फीसदी है। ऐसी स्थिति में पर्यावरण का संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा। जल संकट की स्थिति काबू से बाहर होगी, गर्मी बर्दाश्त करना मुश्किल होगा। कुल मिलाकर जीवन यापन मुश्किल होगा। यह खुलासा पर्यावरण विद् डॉ. सुभाष सी पांडे की रिपोर्ट में हुआ है। पांडे ने विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2019 के एक दिन पहले मंगलवार को रिपोर्ट जारी की थी।

संभागायुक्त ने शुरू की ‘हरा भोपाल-शीतल भोपाल’ मुहीम 

संभाग आयुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने भोपाल को हरा भरा बनाने का जिम्मा उठा लिया है। शहर को हरा-भरा बनाने के लिए हरा भोपाल सेंटर भोपाल अभियान के तहत उन्होने शहर में 11 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य भी रखा है।उनका कहना है कि शहर में स्मार्ट सिटी के नाम पर काटे गए पेड़ों के नुकसान की भरपाई अब सरकारी एजेंसियों के भरोसे छोड़ी गई है। शहर को हरा-भरा बनाने के लिए 1 जुलाई से बड़े पैमाने पर पौधे रोपे जाएंगे इसके लिए शहर के विभिन्न इलाकों में गड्ढे खोदने का काम लगभग शुरू कर दिया गया है। अब तक करीब 200000 पौधे रोपने के लिए गड्ढे खोदे गए हैं।इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन, नगर निगम, वीडीएसी और वन विभाग के अधिकारियों को दे दी गई है।


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