गणतंत्र दिवस पर अतिथि विद्वानों ने कहा, ‘शाहीन बाग़ की चर्चा लेकिन शाहजहानी पार्क को भूली कांग्रेस’

भोपाल। शाहजहांनी पार्क में चल रहे अतिथिविद्वानो के आंदोलन ने संघर्ष भरे दिनों का अर्धशतक पूर्ण किया है। रविवार को अतिथिविद्वानों के आंदोलन के 48 दिन पूर्ण हो गए हैं। गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर अतिथिविद्वान रात भर कड़ाके की ठंड में ठिठुरते रहे जबकि तंत्र को चलाने वाले नेता और अफसर अपने आलीशान बंगलों के वातानुकूलित शयनकक्षों में आराम कर रहे थे। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा है कि 26 जनवरी को भारतीय संविधान को पूरे देश में लागू किया गया था, किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि उच्च शिक्षित होते हुए भी अतिथिविद्वान इस देश मे दोयम दर्जे के नागरिक हैं। शायद इसीलिए भोपाल का शाहजहानी पार्क अघोषित रूप से सरकार का “डिटेंशन सेंटर” बन गया है। जहां अतिथिविद्वान पिछले 50 दिनों से सरकार की बेरुखी और संवेदनहीनता रूपी प्रताड़ना सह रहे हैं। क्योंकि इसी पंडाल में कड़ाके की ठंड व अत्यधिक शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना के कारण एक महिला अतिथिविद्वान की जान चली गयी, एक महिला अतिथिविद्वान का गर्भपात हुआ व कई महिला अतिथिविद्वान गंभीर रूप से बीमार हुई हैं।

शाहजहानी पार्क में फहराया गया राष्ट्रीय ध्वज
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया ने बताया कि गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आज शाहजहानी पार्क में अतिथिविद्वानों के पंडाल में चर्चित एनजीओ गाँधीआलय विचार सेवा संघ के अध्यक्ष व समाजसेवी चंद्रशेखर सिंह राणा ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया इसके पश्चात राष्ट्रगान व संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया। इस अवसर पर संघ के पदाधिकारी व लगभग 2000 अतिथिविद्वानों ने उक्त कार्यक्रम में हिस्सा लिया।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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