भोपाल| मध्यप्रदेश शासन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के मोहनलाल मीना को मणिपुर-त्रिपुरा संवर्ग के लिए मुक्त कर दिया है। संचालक कृषि मोहनलाल मीना वापस अपने मूल संवर्ग मणिपुर-त्रिपुरा लौटेंगे। केंद्र सरकार ने उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर सेवाएं मणिपुर-त्रिपुरा संवर्ग को लौटाने के निर्देश दिए हैं। वहीं अधिकारी को रिलीव करते ही नया विवाद सामने आया है|
केंद्र ने राज्य सरकार को 31 मार्च को मणिपुर-त्रिपुरा कैडर में वापस भेजने के लिए निर्देश दिए, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने बुधवार को मीणा को अपने मूल संवर्ग के लिए मुक्त कर दिया| जबकि मणिपुर सरकार ने एसपी-सीआईडी (स्पेशल ब्रांच) की रिपोर्ट दी है कि मीणा को अभी भी जान का खतरा बरकरार है, इसलिए मप्र में उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि एक साल बढ़ाई जा सकती है। इस रिपोर्ट को देखे बिना ही राज्य सरकार ने मीणा की प्रतिनियुक्ति खत्म करते हुए उन्हें मणिपुर कैडर में लौटने के आदेश जारी कर दिए।
मीना मणिपुर कैडर के अधिकारी हैं, जो 2010 में तीन साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर मध्य प्रदेश आए थे। दरअसल मणिपुर में आतंकी संगठन की धमकी के बाद ही डीओपीटी ने केरल, बिहार और मप्र का विकल्प देने के बाद मीणा को मप्र में प्रतिनियुक्ति पर तीन साल के लिए भेजा। अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद मीणा कैट भी चले गए कि प्रतिनियुक्ति की जगह उनका कैडर बदल दिया जाए। यही स्थिति अभी तक चल रही थी, लेकिन कैट के फैसले का निराकरण करते हुए डीओपीटी ने निर्देश जारी कर दिए कि उन्हें मूल कैडर में लौटा दिया जाए।
मीणा को मूल संवर्ग में लौटाने के निर्देश से दस दिन पहले ही 21 जनवरी को मणिपुर सरकार ने रिपोर्ट दी कि मीणा को खतरा बरकरार है। इस रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए मीणा को रिलीव कर दिया गया| अब मीणा ने रिलीव का आदेश मिलने के चंद घंटे बाद दोबारा मुख्य सचिव एसआर मोहंती को चिट्ठी लिखी और मणिपुर सरकार की रिपोर्ट का हवाला दिया। बताया गया है कि अब इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ही विचार कर सकते हैं। नियमानुसार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति अधिकतम पांच साल के लिए होती हैं। मीना की सेवाएं तीन साल के लिए दी गई थीं, लेकिन यह अवधि बढ़ती रही। आखिरकार केंद्र सरकार ने मीना की सेवाएं मूल संवर्ग में वापस लौटाने के निर्देश जारी कर दिए। इसके मद्देनजर सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें बुधवार को कार्यमुक्त कर दिया।