देश ही नहीं दुनियां में सुर्खियां बटोर रहीं इमरती देवी, अपने बयान को लेकर बनी चर्चा का विषय

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश की महिला और बल विकास मंत्री इमरती देवी अपने बेतुका बयान के वजह से आए दिन देश की सुर्खियों में बनी रहती है। इस बार कोरोना वायरस पर दिए गए बयान को लेकर मंत्री इमरती देवी दुनिया में सुर्खियां बटोर रही है। एक विदेशी अखबार में इमरती देवी के दिए गए बयान को फिचर किया गया, अखबार में लिखा गया कि “एक महीने पहले भारतीय राजनेता द्वारा दिए कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पापड़ खाने के सुझाव के बाद, अब भारत के राज्य मध्यप्रदेश की कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने कहा कि वो कोरोना के संक्रमण से बची हुई है क्योकिं वो मिट्टी और गाय के गोबर में पलि बड़ी है। साथ ही वो जबरदस्ती मास्क पहनती है। ये बयान मंत्री ने उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाली अफवाह को लेकर दिया था” बता दें कि इमरती देवी द्वारा दिए गए बयान का वीडियो देश भर में तेजी से वायरल हुआ था।

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दरअसल, इमरती देवी के कोरोना संक्रमित होने की अफवाह फैलने के तीन दिन पहले मंत्री ने विकास कार्यों को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसी दौरान यह खबर सामने आई थी कि उनकी तबियत ठीक नहीं है, जिसके चलते वो बैठक को बीच में ही छोड़ कर चली गई है। इसके कुछ समय बाद ये अफवाह फैल गई कि मंत्री में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए है। वहीं उसी दिन मंत्री इमरती देवी बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष के साथ बैठक में शामिल हुई थी।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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