भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के आयुष विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए काम की खबर है। आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रामकिशोर कावरे ने आयुष विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने निवास के परिसर में कम से कम 15 किस्म के औषधीय पौधे लगायें। वही किसानों को औषधीय पौधों के उपयोग से मानव स्वास्थ्य सुरक्षा के बारें में बताया ।
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राज्य मंत्री कावरे ने भोपाल के प्रशासन अकादमी में “औषधीय पौधों के उपयोग से मानव स्वास्थ्य सुरक्षा” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में जनजातीय क्षेत्रों के किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिये औषधीय खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिये देवारण्य योजना शुरू की गई है। योजना में किसानों को प्रशिक्षण दिये जाने की भी व्यवस्था है। आयुर्वेद औषधियों की पैकेजिंग में और सुधार की आवश्यकता है। नई टेक्नालॉजी से पैकेजिंग में सुधार किया जा सकता है। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन आयुर्वेद शिरोमणी आचार्य बालकृष्ण पंतजलि योग पीठ हरिद्वार की उपस्थिति में होगा।
आपकी समस्या का हल-आपके घर
वही कृषि मंत्री कमल पटेल ने हरदा कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में “आपकी समस्या का हल-आपके घर” अभियान की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देशित किया कि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही लोक कल्याणकारी योजनाओं से जरूरतमंदों को लाभान्वित करने में कोई कोर-कसर न छोड़ी जाये। हर हाल में पात्र व्यक्ति को लाभ दिलाया जाना सुनिश्चित करें। अधिकारी-कर्मचारियों के दल बना कर ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र में स्थित प्रत्येक घर में भेजें जायें पात्रता अनुसार योजनाओं का लाभ दिलाना सुनिश्चित करें। सभी वनवासियों को वन अधिकार पट्टे उपलब्ध करायें।
मूंग उपार्जन केन्द्रों का निरीक्षण
मंत्री कमल पटेल ने हरदा जिले के ग्राम कड़ोला में समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग उपार्जन केन्द्र का भी निरीक्षण किया और कहा कि व्यवस्थाओं में किसी भी प्रकार की कमी न रहें।किसानों को आश्वस्त किया कि केन्द्र और राज्य सरकार किसानों के कल्याण के लिए कृत-संकल्पित होकर कार्य करती रहेगी।किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग के उपार्जन से बहुत राहत मिली है, एसएमएस के अनुसार किसान अपनी उपज लेकर उपार्जन केन्द्रों पर पहुँच रहे है।यदि सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग उपार्जन नहीं किया जाता तो उन्हें अत्याधिक आर्थिक नुकसान उठाना पडता।