चुनाव कोई भी हो आगे रहते हैं यहां के लोग, यह जिला है फिसड्डी

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भोपाल। लोकतंत्र में एक-एक वोट की कीमत होती है, लेकिन 30 से 40 फीसदी मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग ही नहीं करते हैं। प्रदेश में छिंदवाड़ा एक मात्र ऐसा जिला है जो विधानसभा, लोकसभा एवं अन्य चुनावों में जमकर मतदान करता है। पिछले दो लोकसभा एवं हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में भी छिंदवाड़ा का मतदान प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा है। खास बात यह है कि मतदान में छिंदवाड़ा की महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। 

चुनाव आयोग ने इस बार लोकसभा चुनाव में 75 फीसदी मतदान का लक्ष्य रखा है। छिंदवाड़ा चुनाव में 2009 के लोकसभा में 71.94 फीसदी वोट पड़े थे। इसी तरह 2014 के चुनाव में मतदान का यह प्रतिशत बढ़कर 79.05 प्रतिशत तक पहुंच गया था। पांच महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा का मतदान प्रतिशत 83.92 प्रतिशत रहा है। इन तीनों चुनावों में छिंदवाड़ा मतदान में सबसे अग्रणी जिला रहा है। मतदान में छिंदवाड़ा की महिलाएं भी अन्य जिलों की महिलाएं से लोकतंत्र के प्रति ज्यादा जवाबदेह हैं। 

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18 फीसदी तक बढ़ा महिलाओं का प्रतिशत

2018 के विधानसभा चुनाव में महिला एवं पुरूषों के मतदान प्रतिशत में महज 1.95 फीसदी का अंतर रहा है। विधानसभा में मतदान का प्रतिशत 75.05 फीसदी रहा। जिसमें 74.03 फीसदी महिलाएं एवं 75.98 प्रतिशत पुरूषों ने मताधिकार का प्रयोग किया था। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में महिलाएं का प्रतिशत 56.52 प्रतिशत था, जो विधानसभा चुनाव में करीब 18 फीसदी बढ़कर 74.03 फीसदी तक पहुंच गया। इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 43.72 फीसदी था, जो 2014 के चुनाव में करीब 13 फीसदी बढ़कर 56.57 फीसदी तक पहुंच गया। 

भिंड जिला है फिसड्डी

मतदान में प्रदेश का भिंड जिला सबसे ज्यादा फिसड्डी है। 2009 के लोकसभा चुनाव में कुल 33.57 फीसदी लोगों ने मतदान किया था। जिसमें 18.53 फीसदी महिला वोट पड़े। 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान का 10 फीसदी बढ़कर 43.58 पहुंच गया। पिछले विधानसभा चुनाव में 61.49 फीसदी मतदाताओं ने वोट किया। लोकसभा चुनाव में कम मतदान प्रतिशत के पीछे की वजह भिंड जिले में पदस्थ रहे चुके पूर्व अधिकारी बताते हैं कि लोकसभा की आरक्षित सीट होने की वजह से उच्च वर्ग के लोग मतदान के लिए अपेक्षाकृत कम निकलते हैं। 


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