भोपाल। प्रदेश में दूसरे चरण में होने वाली 7 लोकसभा सीटों के लिए 6 मई को मतदान होना है। इन सभी सीटों पर कांग्रेस ने पहली बार प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव में उतारा है। जबकि भाजपा ने सिर्फ दो प्रत्याशियों को पहली बार मौका दिया है।
कांग्रेस ने टीकमगढ़ से किरण अहिरवार, दमोह से प्रताप सिंह लोधी, खजुराहो से कविता सिंह, सतना से राजाराम त्रिपाठी, रीवा से सिद्धार्थ तिवारी, होशंगाबाद से शैलेन्द्र दीवान और बैतूल से रामू टेकाम को पहली बार लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। जबकि बीजेपी ने सिर्फ खजुराहो से विष्णुदत्त शर्मा और बैतूल से दुर्गादास उइके को पहली बार लोकसभा चुनाव में उतारा है। जबकि होशंगाबाद से रावउदय प्रताप सिंह, टीकमगढ़ से वीरेन्द्र खटीक, दमोह से प्रहलाद पटेल, सतना से गणेश सिंह और रीवा से जनार्दन मिश्रा को फिर से मौका दिया है।
पहले चरण के मतदान के बाद अब दूसरे चरण के लिए मध्यप्रदेश में सियासी गर्माहट बढ़ गई है| दूसरे चरण में 6 मई को मध्यप्रदेश की 7 सीटों पर चुनाव होगा| टीकमगढ़, दमोह, सतना, होशंगाबाद, बैतूल, खजुराहो और रीवा सीटों पर होने वाली वोटिंग से पहले अंतिम समय में प्रत्याशी और पार्टी पूरी ताकत झोंक रहे हैं|
टीकमगढ़:
यह लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में आती है| इस सीट पर कांग्रेस से अहिरवार किरण, बीजेपी से डॉ. वीरेंद्र कुमार और सपा के आरडी प्रजापति सहित 14 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं| 2014 में बीजेपी से वीरेंद्र कुमार ने कांग्रेस के कमलेश वर्मा को 2,14,248 मतों से हराया था| इस बार वीरेंद्र कुमार टीकमगढ़ से हैट्रिक लगाने के मूड से चुनावी मैदान में हैं, लेकिन बदले हुए राजनीतिक समीकरण के चलते बीजेपी के लिए यह आसान नहीं है. जबकि कांग्रेस ने इस बार नए कैंडिडेट के सहारे चुनावी मैदान में है|
खजुराहो:
इस सीट पर लगभग 15 साल से बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी अपने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर वीडी शर्मा को मैदान में उतारा है| जबकि कांग्रेस ने छतरपुर की शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली कविता सिंह पर दांव लगाया है| वहीं, सपा ने डाकू ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नागेंद्र सिंह ने कांग्रेस के राजा पटेरिया को हराकर सांसद चुने गए थे|
रीवा:
रीवा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद जनार्दन मिश्रा पर फिर से उतारा है. जबकि कांग्रेस ने भी ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए सिद्धार्थ तिवारी पर भरोसा जताया है और बसपा ने ओबीसी समीकरण को देखते हुए कुर्मी समुदाय के विकास पटेल को उतारा है. इसके चलते रीवा का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है| 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के जनार्दन मिश्रा ने कांग्रेस के सुंदर लाल तिवारी को एक लाख साठ हजार मतों से मात दी थी. बसपा यहा तीसरे नंबर पर रही थी. पिछले 15 साल से कांग्रेस यह सीट नहीं जीत सकती है. जबकि बसपा इस सीट पर 1991, 1996 और 2009 में जीत दर्ज की है|
दमोह:
इस लोकसभा सीट पर बीजेपी से प्रहलाद पटेल, कांग्रेस से प्रताप सिंह लोधी और बसपा से जित्तू खरे (बादल) सहित 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं| कांग्रेस इस सीट पर पिछले तीन दशक से जीत का स्वाद नहीं चख पाई है| जबकि कांग्रेस इस सीट पर कभी जातीय तो कभी मुद्दे के जरिए प्रत्याशी उतारे लेकिन जीत नहीं मिल सकी है| 2014 में प्रहलाद पटेल ने कांग्रेस के महेंद्र प्रताप सिंह को 2 लाख से ज्यादा मतों से मात देकर जीत हासिल की थी|
होशंगाबाद:
इस सीट पर बीजेपी से मौजूदा सांसद उदय प्रताप सिंह, कांग्रेस से शैलेंद्र दीवान चंद्रभान सिंह और बसपा से एमपी चौधरी सहित 11 उम्मीदवार मैदान में हैं| होशंगाबाद लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है| 1989 से लेकर 2004 तक बीजेपी को 6 बार लगातार जीत दर्ज की थी| 2009 में कांग्रेस ने इस सीट को बीजेपी से छीन लिया था| 2014 में मोदी लहर देखकर उदय सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और सांसद चुने गए|
बैतूल:
इस सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यह सीट कमलनाथ के मजबूत गढ़ माने जाने वाले छिंदवाड़ा से सटी हुई है. बैतूल सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर दुर्गा दास उइके, कांग���रेस ने राम टेकाम और बसपा ने अशोक भलावी को चुनावी रणभूमि में उतारा है. 2014 बीजेपी की ज्योति धुर्वे ने कांग्रेस के अजय शाह को सवा तीन लाख मतों से मात दी थी. हालांकि इस बार सूबे के बदले सियासी समीकरण के चलते बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है. इसके बावजूद कमलनाथ के प्रभाव के चलते बीजेपी के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं दिख रहा है|
सतना
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की सतना लोकसभा सीट पर बीजेपी के गणेश सिंह मैदान में हैं, तो कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट को साधने के लिए राजाराम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. जबकि बसपा से अच्छे लाल कुशवाहा चुनावी मैदान में उतरकर लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है. हैट्रिक लगा चुके गणेश सिंह चौथी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं. जबकि कांग्रेस की और से इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले अर्जुन सिंह आखिरी नेता थे, जिन्होंने 1991 में जीत हासिल की थी. इसके बाद से लगातार यहां बीजेपी का कब्जा है|