कमलनाथ सरकार ने भी माना धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र फर्जी, खारिज की अपील

Published on -

भोपाल

लोकसभा चुनाव से पहले बैतूल से बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे बड़ा झटका लगा है। छानबीन समिति के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी करार देने के बाद राज्य सरकार ने भी माना है कि धुर्वे का जातिप्रमाण पत्र फर्जी है। राज्य सरकार ने धुर्वे की अपील को खारिज करने के आदेश जारी कर दिए है। बता दे कि प्रमाण पत्र को लेकर धुर्वे ने प्रदेश की अलग अलग अदालतों में अर्जी लगाई थी, प्रदेश में भाजपा सरकार होने के चलते हर बार उन्हें राहत मिलती रही, लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही धुर्वे की मुश्किलें बढ़ती चली गई और आखिरकार राज्य सरकार ने उनकी अपील को ही खारिज कर दिया है। ऐसे में धुर्वे की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है और उनका चुनाव लडना भी मुश्किल होता दिखाई दे रहा है।

दरअसल,  बुधवार को जाति प्रमाण पत्र की जांच करने वाली छानबीन समिति ने अपने पुराने फैसले को बरकरार रखते हुए एक बार फिर जाति प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया था। समिति ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया था। जिसके बाद  राज्य सरकार ने भी इस बात को मानते हुए धुर्वे की अपील को खारिज कर दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद बीजेपी और धुर्वे को बड़ा झटका लगा है। अब धुर्वे का आदिवासी जाति प्रमाण पत्र रद्द होना तय है।खबर है कि दो तीन दिन में ही धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के आदेश जारी हो सकते हैं। इससे धुर्वे की लोकसभा की सदस्यता खतरे में आ सकती है। बता दे कि सांसद ज्योति धुर्वे अनुसूचित जनजाति सीट बैतूल से दूसरी बार सांसद हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मामले की छानबीन उच्च स्तरीय समिति द्वारा की गई थी।

गौरतलब है कि सांसद ज्योति धुर्वे की जाति को लेकर पिछले दस साल से विवाद की स्थिति चल रही है। धुर्वे का जाति प्रमाणपत्र भैंसदेही में बना था। बालाघाट के तिरोड़ी गांव में उनका जन्म हुआ था जबकि प्राथमिक पढ़ाई रायपुर में हुई। सबसे पहले उन्होंने रायपुर से जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। विवाह के बाद बैतूल के प्रेम सिंह धुर्वे से विवाह कर पति की जाति के आधार पर भैंसदेही से एससी का प्रमाणपत्र बनवाया। उन्होंने अपनी पति की जाति के आधार पर अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाया जबकि यह पिता की जाति के आधार पर बनता है। इस संबंध में हाल ही में हाई पॉवर छानबीन समिति ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्य सचिव एसआर मोहंती से जानकारी तलब की थी। इसके बाद दो टीमें रायपुर, बैतूल और बालाघाट रवाना कर दी गईं थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने फैसला सुनाते हुए उनकी अपील को ही खारिज कर दिया।


About Author

Mp Breaking News

Other Latest News