MP : कमलनाथ का सवाल- आखिर सच्चाई कब स्वीकारेगी शिवराज सरकार ?

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में बच्चों (Children) की मौत का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है।आए दिन अलग अलग जिलों से इलाज में लापरवाही के चलते मासूमों की मौत की खबरें सामने आ रही है।अब सागर में बड़ी लापरवाही सामने आई है। लगातार हो रही बच्चों की मौत और चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर कांग्रेस पहले से ही हमलावर है। अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सवाल करते किया है कि आख़िर लीपापोती बंद कर कब सच्चाई स्वीकारेगी शिवराज सरकार ?

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दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) ने ट्वीट कर लिखा है कि शहडोल में मासूम बच्चों की मौत निरंतर जारी है और आँकड़ा 24 पर पहुँच गया। सतना में 9 बच्चों की मौत, अनूपपुर, मंडला में भी यही हाल है। हमीदिया में बिजली गुल से तीन मरीज़ों की मौत, जाँच के नाम पर सरकारी लीपापोती और अब सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में वार्मर, इंफ़्यूजन पंप , वेंटीलेटर में फाल्ट , 18 मासूम बच्चों की जान पर बन आयी ?
ये है प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के हाल , आख़िर लीपापोती बंद कर कब सच्चाई स्वीकारेगी शिवराज सरकार (Shivraj Government) ?

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बता दे कि मध्यप्रदेश में लगातार स्वास्थ्य व्यवस्थाएं (Health System) चरमराई हुई है। आए दिन अस्पताल की लापरवाही के मामले सामने आ रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के जांच के निर्देश के बावजूद शहडोल जिले (Shahdol District) में 17 दिन में अबतक 24 बच्चों की मौत हो चुकी है। हाल ही में भोपाल (Bhopal) के हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital)  में कांग्रेस नेता अकबर खान  (Congress Leader Akbar Khan) समेत 3 लोगों की मौत हो गई थी।

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वही सागर (Sagar) के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Medical College) में रविवार रात करीब 12:30 बजे वोल्टेज की गड़बड़ी के कारण सिक न्यू बोर्न चाइल्ड केयर यूनिट में 10 वॉर्मर बच्चों को दवा देने वाले इंफ्यूजन पंप और वेंटिलेटर (Ventilator) में फॉल्ट हो गया, जिसके चलते मशीनें बंद हो गई और बच्चों की जान पर बन आई।गनिमत रही कि लापरवाही ना करते हुए नर्सिंग स्टाफ व डॉक्टरों (Doctors) ने आनन-फानन में 18 नवजातों को जिला अस्पताल के एसएनसीयू में शिफ्ट किया और उनकी जान बच गई।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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