भोपाल।
सत्ता में आने के छह माह के भीतर ही लोकसभा चुनाव में विपरीत परिणाम आने के बाद प्रदेश की कमलनाथ सरकार एक्शन मोड में आ गई है। सरकार ने नए प्रयोग करने की बजाय पुराने ढर्रे पर ही काम करना शुरु कर दिया है, इसी के चलते अब वह प्रदेश में 16 साल पुरानी ‘जिला सरकार’ की वापसी करने जा रही है। जिसके तहत अब सरकारी फाइलों के राजधानी भोपाल के चक्कर लगना बंद हो जाएंगे और छोटी-छोटी योजनाओं में भी शासन के विभाग जो अड़ंगा लगाया करते थे, उससे निजात मिलेगी।इसकी शुरुआत सरकार ने प्रभारी मंत्रियों को जिला स्तर पर थर्ड और फोर्थ क्लास के अधिकारी कर्मचारियों के तबादलों के अधिकार देकर कर दी है। सरकार का मानना है कि ऐसा करके ना सिर्फ प्रशासनिक कसावट आएगी बल्कि विकास भी तेजी से किया जा सकेगा। वही मंत्रालय में पड़ने वाला सीधा भार भी कम होगा।
दरअसल, दिग्विजय शासन काल के दौरान प्रदेश में ‘जिला सरकार’ का प्रयोग हुआ था। तब सरकार ने जिला योजना समिति अधिनियम में संशोधन किया था और राज्य शासन की कुछ शक्तियां जिला सरकार को दी थीं। लेकिन 2003 में जैसे ही प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी तो उन्होंने इसे खत्म कर दिया और जिला योजना समिति को दिए गए सारे अधिकार और सर्कुलर वापस ले लिए। इसके बाद बीजेपी अपने बनाए फॉर्मूले पर काम करती रही, लेकिन अब चुंकी प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार है और कमलनाथ मुख्यमंत्री है तो कांग्रेस इसे फिर से दोहराने जा रही है। प्रदेश में अधिकारों का विकेंद्रीकरण करने के लिए लागू की गई जिला सरकार की अवधारणा 16 साल बाद फिर जमीन पर उतरेगी। जिला योजना समितियों को पॉवरफुल बनाया जाएगा। इन्हें वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारी दिए जाएंगे। करोड़ों रुपए के निर्माण कार्यों के ठेके देने का फैसला जिलों में ही हो जाएगा। कामों की निगरानी का अधिकार भी समिति को होगा। समिति में प्रभारी मंत्री के साथ स्थानीय सांसद, विधायक, जिला पंचायत के अध्यक्ष सहित अन्य जनप्रतिनिधि रहेंगे।
सरकार का मानना है कि ऐसा करके प्रभारी मंत्रियों को नीतिगत निर्णय, ट्रांसफर, विकास की प्राथमिकताएं तय करने का अधिकार मिलेगा। इससे संबंधित जिले का विकास कहीं अधिक गति से होगा। लोगों को छाेटे-बड़े काम के लिए राजधानी तक नहीं जाना पड़ेगा। प्रशासनिक कसावट लाने में यह व्यवस्था बहुत कारगर होगी। हालांकि इसके लिए सरकार पहले अध्ययन करेगी, ताकी जो गलतियां पहले हुई है और अब ना हो। इसके लिए नया प्रारूप तैयार किया जा रहा है, जिसे शीघ्र ही मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किया जाएगा। इसका परीक्षण करने के बाद जिला सरकार का प्रारूप जिलों में लागू होगा। हालांकि कमलनाथ सरकार का यह प्रयोग कितना सक्सेसफुल होगा या नही यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।