भोपाल।
लोकसभा चुनाव खत्म होते ही प्रदेश में फिर किसान आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। भारतीय किसान यूनियन ने प्रदेश में आंदोलन का ऐलान किया है। यह आंदोलन 29 मई से लेकर 31 मई तक पूरे प्रदेश मे चलने वाला है। दावा किया जा रहा है कि किसान आंदोलन के कारण इस बार भी सब्जी और दूध की दिक्कतों का लोगों को सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि किसान फल, सब्जी और दूध को लेकर मंडी नहीं जाएंगे।वही आंदोलन की खबर लगते ही पुलिस प्रशासन और सरकार सकते में आ गई है।
दरअसल, भारतीय किसान संघ ने कर्जमाफी, फसल का समर्थन मूल्य, फसलों के उचित दाम और स्वामीनाथन जैसी एक दर्जन मांगों को लेकर तीन दिवसीय प्रदेशाव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। आंदोलन के दौरान किसानों ने दूध, फस और सब्जी की सप्लाई ना करने का ऐलान किया है। जिसकी वजह से आम लोगो को खासी परेशानी हो सकती है।हालांकि अभी तक यह स्पष्ठ नही हो पाया है कि इसमें आम किसान इस आंदोलन में शामिल होंगें या नही। लेकिन संघ दावा कर रहा है कि प्रदेश में उन्हें किसानों ने पूरा समर्थन मिला है और वे इसमे शामिल होंगें। अभी यह कहना मुश्किल है कि इसका प्रदेश पर कितना असर होगा लेकिन रोज मर्रा की चीजों की किल्लत के चलते आम आदमी को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
उधर, खबर है कि मध्यप्रदेश के कई जिलों में किसान आंदोलन को लेकर पुलिस प्रशासन ने बैठक कर इस पर चिंता जताई है। खूफिया टीम किसान आंदोलन की रणनीति के बारे में पता करने में जुट गई है। इससे पहले सोमवार को कंट्रोल रूम पर चार घंटे मीटिंग चली। इसमें सबसे अधिक समय किसान आंदोलन पर रणनीति को लेकर दिया।वही सरकार ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए विचार करना शुरु कर दिया है।सुत्रों की माने तो नाराज किसानों को मानने के लिए सरकार की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है।
ये है किसानों की मांगे
– स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाए।
– कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए।
-मंडी में उपज सर्मथन मूल्य से नीचे दाम पर बिकने पर रोक लगे।
-सरकार ने किसान कर्ज माफी स्पष्ट हो।
-2 लाख तक कर्ज माफी में सभी किसानों को समानता से राशि दी जाए।
-फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए।
-मंडी में बेची गई उपज का दाम नकदी में किया जाए।
दो साल पहले हुआ था बड़ा आंदोलन
6 जून 2017, वो तारीख, जिसने मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज होकर एक गहरा जख्म छोड़ दिया था। कुछ भड़काऊ मोबाइल एसएमएस और सोशल मीडिया पर वायरल हुए मैसेजेस से शुरू हुआ यह बवाल 7 लोगों की मौत और भयानक हिंसा के साथ खत्म हुआ था। पुलिस चौकियों को आग लगा दी गई थी, रेल की पटरियों को उखाड़ दिया गया था और सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों को फूंक दिया गया था।