भोपाल।
भारतीय किसान यूनियन फसल का लाभकारी मूल्य दिलाने, भावांतर का लंबित भुगतान और कर्जमाफी सहित किसानों की अन्य समस्याओं के समर्थन में आज से मध्य प्रदेश में तीन दिन की हड़ताल पर है। इस बार भी किसानों ने दूध और सब्जी की सप्लाई मंडी तक नहीं पहुंचाने की घोषणा की है, जिसके चलते आने वाले तीन दिनों तक सब्जी, दूध और फल की किल्लत होने वाली है। किसानों की इस हड़ताल ने सरकार के सामने संकट खड़ा कर दिया है। यूनियन को हड़ताल करने से रोकने के लिए कृषि मंत्री सचिन यादव ने बात भी की है, लेकिन वे नही माने ।उधर, पुलिस प्रशासन पहले ही अलर्ट हो गया है और सरकार भी किसान संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित ना हो इसके लिए कलेक्टरों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है।
भारतीय किसान यूनियन का आरोप है कि पिछले छह महिने से सरकार किसानों के उत्थान और कर्जमाफी की बात कह रही है। हम जानना चाहते हैं कि आखिर किसका उत्थान और कितने किसानों का कर्जा माफ हुआ। चुनाव से पहले सरकार ने दो लाख तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर किसानों का कर्जा माफ हुआ है तो उन्हें नोटिस बैंकों द्वारा क्यों भेजे जा रहे हैं। किसान आज भी आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। किसानों को आज भी अपनी उपज का मूल्य नहीं मिल रहा है। किसानों को प्याज तक के सही दाम नहीं मिल रहे हैं।
कृषि मंत्री से मुलाकात भी रही बेनतीजा
किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि किसानों की मांगों को लेकर मंगलवार को कृषि मंत्री सचिन यादव को ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने कर्जमाफी को लेकर कहा कि आचार संहिता की वजह से प्रक्रिया रुक गई थी पर अब यह शुरू हो गई है। किसानों से जो भी वादे किए गए हैं, उन्हें हर हाल में पूरा किया जाएगा। इसको लेकर सरकार कदम भी उठा रही है।उन्होंने संगठन से प्रस्तावित हड़ताल वापस लेने की अपील भी की। अनिल यादव ने बताया कि वार्ता में कृषि मंत्री ने आश्वासन तो दिए पर वे संतोषजनक नहीं रहे, इसलिए हड़ताल होगी। यह कदम मजबूरी में उठाया जा रहा है, क्योंकि किसान परेशान हैं। दूध पर पांच लीटर बोनस देने की बात वचन पत्र में कही गई है पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लाभकारी मूल्य देने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई है।
क्या है मांगें
स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाए।
कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए।
मंडी में उपज समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बिकने पर रोक लगे।
सरकार की तरफ से किसान कर्ज माफी स्पष्ट हो।
2 लाख तक कर्ज माफी में सभी किसानों को समानता से राशि दी जाए।
फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए।
मंडी में बेची गई उपज का दाम नकदी में हो।
इधर, राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ भी आंदोलन की तैयारी में
इधर, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ नेभी एक जून से किसान आंदोलन का एलान कर दिया है, हालांकि महासंघ ने इस आंदोलन से खुद को अलग रखा है।किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी का कहना है कि हमारा आंदोलन एक से पांच जून तक प्रस्तावित है। हमने अपनी मांगें शासन के सामने रख दी हैं।कक्काजी ने कहा कि वो किसान यूनियन के इस आंदोलन में शामिल नहीं हैं,किसानों की समस्याओं को लेकर एक प्रतिनिधि दल सीएम कमलनाथ से दोपहर 12 बजे मुलाकात करने वाला है, उसके बाद आगे का फैसला किया जाएगा। अगर मुख्यमंत्री से वार्ता विफल रही तो फिर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
दो साल पहले हुआ था बड़ा आंदोलन
6 जून 2017, वो तारीख, जिसने मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज होकर एक गहरा जख्म छोड़ दिया था। कुछ भड़काऊ मोबाइल एसएमएस और सोशल मीडिया पर वायरल हुए मैसेजेस से शुरू हुआ यह बवाल 7 लोगों की मौत और भयानक हिंसा के साथ खत्म हुआ था। पुलिस चौकियों को आग लगा दी गई थी, रेल की पटरियों को उखाड़ दिया गया था और सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों को फूंक दिया गया था।